बेमेतरा/दीपेंद्र दीवान
पक्षियों की गणना और ग्रामीणों को आने वाले समय में प्रशिक्षण के माध्यम से पक्षी संरक्षण में लग कर ईको पर्यटन के विकास के लिए कार्य करने की दिशा में रविवार दिनांक 19 सितम्बर 2021 को दुर्ग डी. एफ.ओ धम्मशिल गणवीर (आई एफ एस ) के द्वारा इस क्षेत्र में गिधवा-परसदा-नगधा के ग्रामीणों की सराहना की जो पक्षियों के संरक्षण के लिए आगे आ रहे है। पक्षियों के प्रति प्रेम एवं लगाव इस गांव मे देखी जा सकती है, यह अपने आप मे एक मिशाल है।
गिधवा-परसदा के ग्रामीणों की भावना पक्षियों के संरक्षण मे मदद् करेगी, गिधवा-परसदा के ग्रामीण पक्षियों के संरक्षण के दिशा मे बेहतर काम कर रहे है। गिधवा-परसदा गांव के विकास के लिए जो भी योजना बनेगी उसे पूरा करने का प्रयास करेंगे। उन्होने पक्षियों की संरक्षण के लिए ग्रामीणों के सहभागिता की सराहना की। रायपुर से पक्षी प्रेमी अखिलेश भरोस, शिशिर दास, दीपेंद्र दीवान ,जागेश्वर वर्मा, वाइल्ड लाइफ बोर्ड सदस्य मोहित साहू , सोनू अरोरा,हकीमुद्दीन सैफी,सूरज इत्यदि ने ग्रामीणों से सरकारी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में पक्षी संरक्षण उनके गणना के संदर्भ में बात की एवं ग्रामीणों के प्रश्नो के उत्तर भी दिये इस अवसर में सरपंच ग्राम पंचायत गिधवा केशव साहू, सरपंच नगधा थानसिंह वर्मा, सरपंच परसदा राजेश साहू, सहित ग्रामीण जन उपस्थित थे।
देश-दुनिया के अलग-अलग प्रजातियों के पक्षियों को पनाह देने वाले गिधवा और परसदा गांव में छत्तीसगढ़ का पहला पक्षी महोत्सव का 31 जनवरी से 2 फरवरी 2021 तक तीन दिनों तक मनाया गया था । वन विभाग दुर्ग डिविजन और बेमेतरा जिले में आने वाले इन गांव में यह आयोजन किया गया । जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण में पक्षियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। गिधवा में 150 प्रकार के पक्षियों का अनूठा संसार है। इको टूरिज्म के विकास और स्थानीय रोजगार की दृष्टि से गिधवा-परसदा में आने वाले समय में काफी सम्भावना है |
यूरोप, मंगोलिया, बर्मा और बांग्लादेश से हर वर्ष अक्टूबर में प्रवासी पक्षी प्रायः यहाँ आते है लगभग 100 एकड़ में फैले पुराने तालाब के अलावा परसदा में भी 125 एकड़ के जलभराव वाला जलाशय है। यह क्षेत्र प्रवासी पक्षियों का अघोषित अभयारण्य माना जाता है। सर्दियों की दस्तक के साथ अक्टूबर से मार्च के बीच यहां प्रवासी पक्षी पहुँचते हैं। जलाशय की मछलियां, गांव की नम भूमि और जैव विविधता इन्हें आकर्षित करती है। गिधवा-परसदा पक्षी विहार अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल पर आने वाले समय में अपना स्थान बना सकता है | कई सर्वेक्षण के माध्यम से गिधवा बांध को पक्षी विहार बनाए जाने को लेकर यहां की मिट्टी और वानस्पतिक स्थिति की जानकारी ली गई।
सर्वेक्षण टीम ने यहाँ पीपल, बरगद, पलास, बबूल के पेड़-पौधे और पानी को पक्षी विहार के लिए काफी बेहतर पाया। गिधवा बांध में गैडवाल, मार्श, सेंडपाईपर, कामन सेंडपाईपर, कामन ग्रीन शैक, कामन रेड शैक पक्षी दिखाई देते है । इनके अलावा, 50 तरह के स्थानीय पक्षी भी इस बांध में पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की करीब 150 प्रजातियां हैं। बेमेतरा जिले के नवागढ़ में नांदघाट से लगभग 8 किलोमीटर दूर मुंगेली रास्ते पर 400 साल पुराना 51 एकड़ का गिधवा तलाब है। इसके पास ही 200 एकड़ का गिधवा बांध है, जहां पर प्रवासी पक्षी आते हैं। यह राजधानी से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर है। पक्षी विहार बनने से यह एक बड़ा पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित हो रहा है तथा गिधवा परसदा पक्षी विहार की अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भी जल्द ही पहचान बन सकती है | आदिकाल से मनुष्य एवं पक्षियों का सामंजस्य रहा है। वेदों में भी पक्षियों का चित्रण मिलता है। मनुष्य प्राचीन समय से पेड़ एवं पशु पक्षियों की पूजा करता आ रहा है।