खैरागढ़ जिला निर्माण का विरोध करने वाले भाजपाई पहले माता कौशल्या मंदिर निर्माण का विरोध करते थे अब रामकथा का भी विरोध कर रहे हैं -आरपी सिंह

आरपी सिंह
आरपी सिंह प्रवक्ता प्रदेश कांग्रेस कमेटी छत्तीसगढ़
खैरागढ़

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता आर पी सिंह ने आज एक बयान जारी करते हुए यह आरोप लगाया है कि 15 वर्षों तक लगातार सत्ता में रहने के बावजूद न तो भाजपा के लोग गंडई को तहसील बना सके और ना ही खैरागढ़ को जिला। आज जब खैरागढ़ विधानसभा की जनता की मांग पर खैरागढ़ को जिला, साल्हेवारा को तहसील और जालबांधा को उप तहसील बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने की है तब भाजपाई खुलकर विरोध कर रहे हैं,जो कि जनता भी देख रही है और मतदान के दिन इसका माकूल जवाब भी देगी। बात यहीं पर खत्म हो जाती तो भी ठीक था।

भाजपा के विरोध की राजनीति अब और आगे बढ़ चुकी है। पूरे विश्व में प्रभु राम की माता कौशल्या जी का एकमात्र मंदिर छत्तीसगढ़ के चंद्रखुरी में स्थित है। भूपेश बघेल सरकार ने जब इस मंदिर के पुनर्निर्माण और सौंदर्यी करण का कार्य करना प्रारंभ किया तब भी भाजपा के लोग मंदिर पुनर्निर्माण का विरोध करते रहे। रमन सिंह 15 वर्षों तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे लेकिन एक बार भी माता कौशल्या के मंदिर में दर्शन करने नहीं गए। वोटों के लिए प्रभु राम से दिखावटी प्रेम और उन्हीं आराध्य प्रभु राम की माता से इतनी नफरत भाजपा के असली चेहरे को उजागर करती है।

भाजपा के राजनांदगांव के सांसद संतोष पांडे का बयान आज अखबारों में छपा है। जिसमें वे राम कथा वाचक युग वक्ता और कवि कुमार विश्वास के कार्यक्रम “हमर भांचा राम” का विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने पूछा है कि आखिरकार यह भाजपा का कौन सा चेहरा, कौन सा चरित्र है? एक तरफ जहां राम के नाम पर भाजपाई चंदे का धंधा चलाते हैं और वोटों की भीख मांगते हैं वहीं दूसरी तरफ उन्हीं प्रभु राम की कथा का विरोध कर रहे हैं!

भाजपा सांसद का बयान यह बताने के लिए पर्याप्त है कि भाजपा को ना तो खैरागढ़ विधानसभा की जनता से मतलब है ना ही माता कौशल्या से और ना ही प्रभु राम से। रामकथा का विरोध करना भारतीय जनता पार्टी की दूषित मानसिकता का परिचायक है। सनातन हिंदू धर्म में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति इस बयान की कड़ी निंदा करेगा। सांसद संतोष पांडे के इस बयान के लिए डॉ रमन सिंह समेत पूरी भाजपा को हिंदू समाज से माफी मांगनी चाहिए, अन्यथा इसकी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहिए।

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