नारायणपुर.
कार्यस्थल पर तनाव होना एक सामान्य सी गतिविधि लगती है समान्यतः हर विभाग में अधिकारी से लेकर कर्मचारी अपनी कार्यक्षमता के अनुसार थोड़े बहुत तनाव में होते हैं। वैसे कभी-कभी तनाव लेना गलत नहीं है, लेकिन इसकी अधिकता होने लगे तो यह समस्या उत्पन्न कर सकती है। ऐसी स्थितियों से बाहर आने व स्वंय को तनावमुक्त रखने हेतु जिला पंचायत के सभा कक्ष में महिला एवं बाल विकास विभाग,बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड ,सखी सेंटर, चाइल्ड हेल्पलाइन के 40 से अधिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए “कार्यस्थल पर तनाव प्रबंधन” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस दौरान उपस्थित कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ.प्रशांत गिरी ने बताया, ” प्रत्येक व्यक्ति का तनाव एक समान नही होता, कम मात्रा में तनाव होना अच्छा है यह आपको प्रेरित करता है जिससे आप अपने कार्य को बेहतर तरीके से कर पाते हैं। लेकिन बहुत अधिक तनाव हानिकारक होता है, यह स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। हम ऑफिस कैसे जाएंगे, अधिकारी हमारे काम से नाराज तो नहीं होंगे, कार्य के प्रति व्यस्तता न दिखाएं, तो लोग समझेंगे कि मेहनत नहीं कर रहे , ऐसी छोटी-छोटी कई बाते हैं जिसके कारण बेवजह तनाव लेना एक आदत सी बन जाती है।‘’ डॉ.गिरी ने तनाव के दुष्प्रभाव की जानकारी देते हुए मानसिक बीमारियों के प्रकार, कारण, लक्षण एवं उपचार के बारे में भी जानकारी दी।
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट प्रीति चांडक द्वारा कार्य स्थल पर तनाव से मुक्त रहने हेतु सभी कर्मचारियों को खेल-खेल के माध्यम से कुछ तकनीक अपनाकर रहे तनाव से दूर रहने की तकनीक बताई गयी।
असर्टिंवनेस टेक्निक- अपनी क्षमता से ज्यादा कार्यभार लेना भी तनाव का एक प्रमुख कारण है। कई बार कर्मचारी अपनी प्रतिभा दिखाने की सोच कर अपने क्षमता से अधिक काम करने के लिए हामी भर देते हैं , जो तनाव होने का कारण बन सकता है। इस टेक्निक के माध्यम से यह समझाने का प्रयास किया गया कि , व्यक्ति को “नहीं’ बोलना भी आना चाहिए । लेकिन जब आप ऐसा कह रहें हो तब आपका कथन सलीके पूर्वक होना चाहिए।
ब्लो द बलून गेम के माध्यम से यह बताया गया कि जिस प्रकार बलून के अंदर जरूरत से ज्यादा हवा भरने पर बलून फूट जाता है उसी प्रकार हमारे मन में लगातार नकारात्मक विचार या परेशानियां भरते जाए तो इसका नकारात्मक प्रभाव हमारे ऊपर पड़ता है। इस परेशानी से बचने के लिए वेंटिलेशन टेक्निक अर्थात अपनी बातों को साझा करके धीरे-धीरे अपना तनाव कम करें।
परियोजना अधिकारी प्रतिभा शर्मा ने कार्यक्रम उपरांत बताया, ” आज के प्रशिक्षण में तनाव के विषय पर बताये गए सभी तकनीक से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे यह समस्या प्रत्येक व्यक्ति की निजी जीवन से जुड़ा हुआ है, जिसका समाधान प्रीति चांडक द्वारा तनावरहित वातावरण में खेल-खेल के माध्यम से दिया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ से अंत तक सभी कर्मचारी समान ऊर्जा के साथ इस प्रशिक्षण में जुड़े रहे इसके लिये स्वास्थ्य विभाग को धन्यवाद।
एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.आर. पुजारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी रविकांत ध्रुव ,बाल संरक्षण अधिकारी अजीत और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।