खाने के लिए भटकते रहे रिक्शा चालक व मजदूर, कम्युनिटी किचन की खुली पोल

पटना                                                                      
राजधानी के मलाही पकड़ी गोलम्बर पर लगभग 10 से 12 रिक्शा चालक अपने रिक्शा के साथ सड़कों पर बाट जोह रहे हैं, जहां कोई बड़ी गाड़ी आती दिखती है तो मन खुश हो जाता है, लेकिन जैसे ही गाड़ी आगे बढ़ जाती है फिर से टकटकी लग जाती है। कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए राज्य में संपूर्ण लॉकडाउन लग गया है। लेकिन सड़कों पर जिन्दगी गुजारने वालों को पहला दिन भूखे ही काटना पड़ा। मलाही पकड़ी स्थित कम्युनिटी किचेन में चार बजे के बाद खाना बंटना शुरू हुआ।  कई रिक्शा चालक पैसा रहते हुए भी खाना नहीं खा सके, क्योंकि कोई होटल खुला नहीं था। 

जीपीओ के पास रिक्शा चालक दिनभर मिलर स्कूल का चक्कर लगाते रहे, लेकिन खाना नहीं मिला। शाम के तीन बजे पूर्व सांसद पप्पू यादव की टीम ने गरीबों को खाना दिया, जिससे उनकी भूख मिट सकी। वीरचंद पटेल पथ पर रिक्शा चलाने वाले पप्पू राम बताते हैं कि लॉकडाउन तो लग गया है, लेकिन उनके बारे में कोई नहीं सोचता है। वह तो भूखे जिन्दगी गुजार लेंगे, लेकिन बच्चों को कैसे भूखे रखेंगे। आर ब्लॉक के पास झोपड़ी में रहने वाली बबली बताती है वह क्या जानती थी एक साल बाद वही दिन आ जाएंगे। हम न जी सकते हैं और मर सकते हैं। बच्चों का मुंह देखकर बस सबके सामने हाथ पसार देते हैं। सड़क पर इतनी भी गाड़ियां नहीं चल रही है कि भीख मांगकर गुजारा कर लें।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही गरीबों के भाजन की व्यवस्था करने का निर्देश आपदा प्रबंधन विभाग को दिया था। सरकार का मानना है कि रोज कमाने-खाने वाले के साथ अति निर्धन लोगों को लॉकडाउन की अवधि में कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए उनके खाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। सामुदायिक रसोई में उन्हें दोनों शाम का भोजन मिलेगा। 

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