कभी कभी कुछ काम न करना भी जरूरी

लाइफ स्टाइल/रितु वर्मा 

कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं जो एक पल भी खाली नहीं बैठ सकतीं. अगर उन के पास काम नहीं तो उन्हें बेचैनी होने लगती है. आमतौर पर लोगों को यह सामान्य लगता है पर संभव है कि वे किसी अवसाद से ग्रस्त हों. कहीं आप की नजर में तो नहीं कोई ऐसी महिला?

रितिका का जीवन 17 वर्षों से घड़ी की सूइयों से बंधा हुआ है. सुबह 5.30 बजे से रात 11.30 बजे तक वह मशीन की तरह लगी रहती है. दफ्तर के काम के साथसाथ घर की जिम्मेदारी भी वह बखूबी निभाती है. रोज डायरी पर दिन के काम लिखना और फिर रात में यह चैक करना कि कितने काम वह पूरे कर पाई है और कितने नहीं. सोने से पहले फिर से वह एक लंबी काम की लिस्ट बना कर सो जाती है.

परंतु उस के परिवार में किसी को यह नहीं पता कि रितिका एक अलग ढंग के मानसिक अवसाद से घिरी हुई है. वह लगातर इस एंग्जायटी में रहती है कि वह खाली नहीं बैठ सकती है, जबकि यह गलत है. उसे हर समय काम में डूबे रहने की आदत सी पड़ गई है.

छुट्टी वाले दिन वह किचन की सफाई, बाथरूम की सफाई या कपड़ों की अलमारी संवारने में व्यस्त रहती है. बाकी समय वह बच्चों की पसंद के खाने बनाने में लगा देती है. एक अजीब सा तनाव रितिका के अंदर रातदिन पनपता रहता है कि कहीं कुछ छूट तो नहीं गया है. 42 वर्ष की उम्र होतेहोते रितिका ब्लडप्रैशर, डायबिटीज और आर्थ्रराइटिस की बीमारियों की शिकार हो गई है.

आराम हराम है पर हर समय काम करना भी एक बीमारी है. अगर हम अपने शरीर और दिमाग को आराम नहीं देंगे तो हमारी स्फूर्ति और रचनात्मकता शून्य हो जाएगी.

अगर आप के आसपास भी ऐसे कुछ लोग हैं जो मशीनी जिंदगी को अपनी नियति मान कर एक जिंदा लाश बन कर जिंदगी गुजार रहे हैं, तो उन्हें जगाएं और थोड़ा सा जिंदादिल बनाएं. कभी कुछ न करना क्यों जरूरी हैं, इस बात के फायदों से उन्हें अवश्य अवगत कराएं.

  • रचनात्मकता के लिए है जरूरी :

रचनात्मकता के लिए कभीकभी कुछ न करना भी बेहद जरूरी है. अगर हर समय काम में संलग्न रहोगे तो थकावट हो ही जाएगी. थके मन और थके शरीर के साथ रचनात्मकता का दूरदूर तक नाता नहीं है. यह बात हमेशा याद रखिए कि बोरियत से ही क्रिएटिविटी उपजती है.

  • सेहत के लिए हैं लाभदायक :

हमारा शरीर भी एक मशीन की तरह ही है. जैसे लगातार चलने से मशीन जल्दी ही घिस कर खराब हो जाती है वैसे ही हमारे शरीर के साथ भी है. आप की सेहत ही आप का आखिरी समय तक साथ निभाएगी. परिवार, बच्चे तब तक ही अच्छे हैं जब तक आप सेहतमंद हैं.

  • मानसिक स्वास्थ्य के लिए है आवश्यक :

अगर 24 घंटे आप विचारों के जंगल में भटकती रहती हैं तो जल्द ही किसी मानसिक बीमारी का शिकार हो सकती हैं. हफ्तेदस दिनों में खुद को मानसिक रूप से भी डिटौक्स करें. जीरो विचार के साथ दिन की शुरुआत करें. जितना आप कम सोचेंगी, उतना ही अधिक हलका महसूस करेंगी.

  • ऊर्जा बढ़ाने में मिलती है मदद :

यह बिलकुल सत्य है कि अगर आप एक दिन हफ्ते में पूरा आराम करती हैं तो आप का ऊर्जा स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है. आप की सोच भी अधिक सकारात्मक हो जाती है. इस ऊर्जा को आप सही दिशा में लगा कर रचनात्मक कार्य कर सकती हैं.

  • वर्क क्वालिटी के लिए :

कभी कभी कुछ न करने से आप इतनी खुश और तनावरहित हो जाती हैं कि आप दोगुने जोश से अपने घर व दफ्तर के कार्य को पूर्ण करती हैं. वर्क क्वालिटी को बरकरार रखने के लिए यह अत्यधिक जरूरी है कि आप पूरे हक से और बिना गिल्ट के आराम करें. आप की रसोई, घर और काम का रिप्लेसमैंट हो सकता है पर आप का नहीं. आप के परिवार से ज्यादा आप को अपनी जरूरत है.

  • रिश्तों की गरमाहट को रखें बरकरार :

स्वस्थ और मजबूत रिश्तों के लिए भी कभी कुछ न करना भी बेहद जरूरी है. कभीकभी हर तरफ से फ्री हो कर अपनों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं. घर की सफाई से भी जरूरी है आप अपने मन के गिलेशिकवों को साफ करें और यह तभी हो सकता है जब आप उन के साथ समय बिताएं.

  • जिंदगी को सही दिशा देने के लिए:

आज के दौर में रिफ्लैक्शन का बहुत अधिक महत्त्व है. यदि आप बिना रुके आगे बढ़ते जाएंगे तो जल्द ही दिशाहीन हो कर भटक जाएंगे. अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए यह अति आवश्यक है कि हफ्ते में एक दिन बिना किसी काम के, बस, रिलैक्स रहें. आंखें बंद कर के पूरे हफ्ते के लेखेजोखे के बारे में सोचें. आप को खुद ही अपनी कमजोरियों और ताकत का अवलोकन हो जाएगा जो आप के जीवन के आगे के मार्ग को भी सुनिश्चित करने में सहायक होगा.

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