बॉलिवुड में दमदार और हिट फिल्मों के लिए जानी जाने वाली कृति सैनन (Kriti Sanon) इन दिनों चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म 'मिमी' (Mimi) को लेकर। फिल्म में सरोगेट मदर की भूमिका अदा करने वाली कृति जल्द ही 'भेड़िया' और 'बच्चन पांडे' में भी नजर आएंगी। कृति ने अपने करियर फिल्मों और अलग-अलग मुद्दों पर नवभारत टाइम्स से खुलकर बात की।
कृति आप जैसी फिट और ग्लैमरस अभिनेत्री प्रेग्नेंट औरत की भूमिका करने को क्यों राजी हुई?
कहानी जब एक लाइन में आपके दिल को छू जाए, तो आप रोल करने को प्रेरित हो जाते हैं। हम सभी कलाकार किरदार के मामले में लालची होते हैं। कहानी की वन लाइन ऐसी है कि मंडावा की एक नंबर वन डांसर हिरोइन बनने के सपने देखती है। एक विदेशी कपल आकर उसे पैसों के एवज में सरोगेसी की पेशकश करता है और वो उस शॉर्टकट को अपना लेती है। फिर किसी सिचुएशन की वजह से वह फॉरनर कपल बच्चा उसके पेट में छोड़कर ही चले जाते हैं। अब उसका क्या होगा? सच कहूं, तो 'मिमी' जैसी कहानी हम अभिनेत्रियों के पास बहुत कम आती हैं और जब आती हैं, तो उसे झपट लेना चाहिए।
ईमानदारी से कहूं, तो मेरे लिए पूरी प्रक्रिया उल्टी थी। मैंने कभी डायट नहीं की है। मेरा मेटाबॉलिज्म बहुत अच्छा है। मैं पिज्जा, बर्गर, डाल मखनी, बटर चिकन, राजमा चावल सब खाती हूं। अब जब 15 किलो वजन बढ़ाने की बात आई, तो समस्या ये थी कि और ऐसा किया खाऊं,जो वजन बढ़े। मेरे लिए जो डायटीशियन रखी गई, जाह्नवी, वह खुद प्रेग्नेंट थी। भूख न होने पर भी मुझे खूब खाना पड़ता था। एक समय तो मुझे उल्टी की फीलिंग आने लगी और मैं खिचड़ी की मांग करने लगी। डायटीशियन ने मुझे योग और एक्सरसाइज करने से सख्ती से मना किया था। उस दौरान मेरे निर्देशक लक्ष्मण सर घर पर खाने के हैंपर भेजा करते थे। हर तीसरे दिन उन्हें -फोटो खींच कर या विडियो कॉल पर वजन बढ़ने की अपडेट देनी पड़ती थी। 3 महीने में 15 किलो बढ़ाने के बाद, तो मेरे जॉइंट्स भी दुखने लगे थे। तब मैं इतना मीठा खाने लगी थी कि मुझे शुगर क्रेविंग होने लगी थी। वजन घटाने में नानी याद आ गई।
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भारत में कमर्शल सरोगेसी पर जो प्रतिबंध है, उस पर आपका क्या नजरिया है?
हमारी फिल्म 2015 के बैकड्रॉप पर आधारित है। असल में हमारी फिल्म एक सत्य घटना से प्रेरित है, जहां एक विदेशी कपल ने सरोगेट मदर से बच्चा लेने से इंकार कर दिया था। मेरा मानना है कि सरोगेसी एक पुण्य का काम है, जो माता-पिता बनने में अक्षम कपल को पैरंट्स बनाता है। मगर मेरा मानना है कि इसमें दोनों पक्षों के हितों को सुरक्षित किया जाना चाहिए। कोई भी पक्ष किसी का शोषण न कर सके। महिलाओं को एक्सप्लॉयटेशन से बचाने के लिए है, इस तरह के कानून लाए गए, क्योंकि एक समय गुजरात बेबी फैक्ट्री के नाम से मशहूर हो गया था। महिलाएं अपनी आजीविका के लिए बार-बार सरोगेट मां बन रही थीं और तब कानून कड़े करने पड़े।
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हाल ही में आपने दिलीप कुमार के अवसान पर सोशल मीडिया पर उनके करीबियों को स्पेस देने की बात कही थी। क्या आप मानती हैं आज एक ट्विटर हैंडल के पीछे बैठकर लोग कुछ भी कह जाते हैं?
मैं कहूंगी कि सोशल मीडिया ने नेगेटिविटी बढ़ा दी है। कई बार आप उसे पॉजिटिवली भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे मैंने किया है, लोगों की मदद करने में। कोरोना के कहर के दौरान किसी को ब्लड या बेड चाहिए था, तो उन कामों के लिए सोशल मीडिया बहुत काम आया। होता क्या है कि अब पल-पल में खबरें इंटरनेट पर आती हैं और लोग रिएक्ट करते हैं। इससे कई बार पब्लिक की मानसिकता भी पता चलती है कि हम कितने पिछड़े हैं। मुझे लगता है कि ट्रोलिंग को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। सोशल मीडिया पर एक ब्लॉक बटन है और जरूरत पड़ने पर उसे दबा देना चाहिए। अगर कहीं महिला विरोधी ट्रोलिंग होती है, तो मीडिया को भी उसकी निंदा करनी चाहिए।
मुझे बहुत अच्छा लगा जब कंगना ने मेरी तारीफ की। वैसे ही अच्छा लगा जैसे वरुण धवन, यामी गौतम और अर्जुन ने मेरी प्रशंसा की। यह काफी प्रेरणादायक होता है जब आपके साथी कलाकार आपके काम को सराहते हैं। आपकी हिम्मत बढ़ाते हैं। मैं किसी का भी अच्छा काम देखती हूं, तो मुझे खुशी मिलती है और मेरे अंदर से आवाज आती है कि मैं उसे बताऊं। यह बहुत ही स्वीट गेस्चर है।
पंकज त्रिपाठी जैसे कलाकार का साथ कैसा रहा?
यह उनके साथ मेरी तीसरी फिल्म है। उनके साथ केमेस्ट्री संवरती चली गई है। इससे पहले मैं उनके साथ 'बरेली की बर्फी' और 'लुका छिपी' में काम चुकी हूं। 'बरेली की बर्फी' में उनका और मेरा पिता-पुत्री का रिश्ता लोगों को काफी भाया था। उनके किरदार भानू और मेरे चरित्र मिमी की रिलेशनशिप को आप डिफाइन नहीं कर पाएंगे। आप नहीं बोल पाएंगे कि ये बहन-भाई हैं या दोस्त अथवा इनमें कोई रोमांटिक एंगल है? मगर इनका रिश्ता आपको मानवीय जरूर नजर आएगा। साथी कलाकार के रूप में वे काफी गिविंग हैं।
पिछले साल सुशांत सिंह राजपूत के जाने के बाद आपने उस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे को बहुत समझदारी से हैंडल किया?
ईमानदारी से कहूं तो मैं उस विषय पर अभी बात नहीं करना चाहूंगी, मैं नहीं चाहती कि ऐसा लगे कि मैं उस इंसिडेंट को अपनी फिल्म के समय इस्तेमाल कर रही हूं। यह मुझे सही नहीं लगता।