आरी तुतारी : क्या आरक्षण विधेयक “सांप के मुँह में छुछुंदर” बनगे ?

आरी तुतारी
आरी तुतारी व्यंग

आरी तुतारी / कुलदीप शुक्ला

राज्य में 76 % विवादस्पद आरक्षण विधेयक को सर्वसमत्ति से विधानसभा में पास किया गया, इसे लेकर दोनों पार्टी में श्रेय लेने का होड़ मचा है। आरक्षण विधेयक विवादस्पद कहीं दूसरे कई विधेयकों की तरह राजभवन में ही चढ़ोतरी चढ़ जाहि का । कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नाम परिवर्तन वाला विधेयक अब तक राजभवन से बाहर नहीं निकल पाया है। इसके आलावा कुछ और विधेयक भी राजभवन में ही चढ़ोतरी चढ़ हैं।

अब दोनों पार्टी के लिए ये आरक्षण विधेयक  “सांप के मुँह में छुछुंदर” वाली स्थित हो गई ही ना खा सकते ना ही उगल सकते है।

कहीं राज्यपाल आरक्षण विधेयक को संशोधन के लिए लौटा देती हैं तो दोबारा विधानसभा से पारित करवा कर भेजना होगा और ऐसे में उन्हें मंजूरी देना मज़बूरी बन जाती है । यदि इसे राष्ट्रपति को भेजतीं,तो मसला केंद्र सरकार के पाले में चला जाता। ऐसा है कि राज्यपाल जब तक चाहें विधेयक को अपने पास रख सकती हैं, उसमें कोई बाध्यता नहीं है। लेकिन सरकार इस विधेयक को राज्यपाल से मंजूरी दिलाकर राजनीतिक लाभ लेना चाहती थी,जो बीजेपी के लोगों को हजम नहीं हो रहा है ,विधानसभा में बीजेपी के साथ साथ अन्य विधायक की सहमति थी  ।

राज सरकार विधानसभा में विधेयक के पारित होने के दिन ही अधिसूचना जारी करने की सारी तैयारी सरकार ने कर रखी थी। अफसरों को देर रात दफ्तरों में रोककर रखा भी गया था।

अगर आगे लंबित होने का राजनीतिक लाभ किस तरह लेती है, यह देखना होगा है। आरक्षण विधेयक के मुद्दे पर राज्य में जबरदस्त राजनीति चल रही है। कांग्रेस राजभवन पर लगतार दबाव बना रहा है। ये सब के नजर अउ भरोसा अब 16 जनवरी को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here