अफगान पर कब्जे के बाद तालिबान की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस: महिलाओं का सम्मान, मीडिया को नसीहत और दुनिया को भरोसा

काबुल
अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान ने पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उसने महिलाओं से लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदायों की चिंताओं पर अपना पक्ष रखा। तालिबान ने मंगलवार को इस्लामी कानून के तहत महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने का वादा किया और अपना विरोध करने वालों को माफी देने तथा सुरक्षित अफगानिस्तान सुनिश्चित करने की घोषणा की। यह घोषणा विश्व के नेताओं और डरे हुए लोगों को यह दिखाने का प्रयास है कि तालिबान अब बदल गया है। कुछ ही दिनों में पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा करने लेने वाले तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने कहा कि संगठन के लड़ाके किसी से बदला नहीं लेना चाहते और सभी को माफी दे दी गई है। प्रवक्ता मुजाहिद ने मंगलवार को अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। 

वर्षों तक उसके द्वारा विद्रोहियों की ओर से गुपचुप तरीके से बयान जारी किए जाते रहे हैं। तालिबान के पिछले शासन (1990 के दशक के अंत में) के दौरान महिलाओं के जीवन और अधिकारों पर कड़ी पाबंदियां देखी गई थीं। ऐसे में तालिबान प्रवक्ता के इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है। मुजाहिद ने यह भी कहा कि तालिबान चाहता है कि निजी मीडिया 'स्वतंत्र रहे', लेकिन उसने इस बात को विशेष तौर पर रेखांकित किया कि पत्रकारों को देश के मूल्यों के खिलाफ काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने वादा किया कि विद्रोही (तालिबान) अफगानिस्तान को सुरक्षित कर लेंगे। साथ ही कहा कि जिन लोगों ने पिछली सरकार या विदेशी सरकारों या बलों के साथ काम किया उनसे वह कोई बदला नहीं लेना चाहते। तालिबान ने कहा कि वे अन्य देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहते हैं।

अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबानी प्रवक्ता ने कहा 'हम विश्वास दिलाते हैं कि कोई भी उनके दरवाजे पर यह पूछने नहीं जाएगी कि उन्होंने मदद क्यों की।' इससे पहले तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य इमानुल्लाह समनगनी ने ऐसा ही वादा करते हुए कहा था कि तालिबान बिना विवरण दिए 'माफी' का विस्तार करेगा और सरकार में शामिल होने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करेगा। 
दूसरों के लिए अफगान की जमीन का इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा
प्रवक्ता ने इस बात पर भी जोर दिया कि अफगानिस्तान किसी दूसरे देश को निशाना बनाने के लिए अपनी जमीन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देगा। साल 2020 में अमेरिका के साथ हुए समझौते में तालिबान ने इसका वादा भी किया था। इस समझौते के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ हो गया था।

विदेशी नागरिकों को डरने की जरूरत नहीं
अफगान नागरिकों को इस बात का डर है कि तालिबान के आने से देश में बर्बर शासन लौट आएगा, जैसा कि उसके पिछले शासन में देखा गया था। मुजाहिद ने अनेक अफगान लोगों और विदेशी नागरिकों की मुख्य चिंताओं को भी दूर करने की कोशिश की और कहा कि महिलाओं को इस्लामी कानून के तहत अधिकार प्रदान किए जाएंगे।

किसी को निशाना नहीं बनाएंगे
वहीं, तालिबान जबकि यह कह रहा है कि वह अपने दुश्मनों को निशाना नहीं बनाएगा, ऐसी खबरें भी हैं कि लड़ाकों के पास उन लोगों की सूची है जिन्होंने सरकार का सहयोग किया और उन्हें वह ढूंढ रहे हैं। इस बीच, तालिबान के कब्जे के बाद जर्मनी ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली विकास सहायता रोक दी है।

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