नौसेना के शीर्ष कमांडरों ने मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा

नौसेना
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नई दिल्ली | नौसेना के शीर्ष कमांडरों ने वार्षिक सम्मेलन के पहले चरण में चार दिन तक संचालन, मौजूदा स्थिति और भविष्य की चुनौतियों के साथ-साथ सैन्य साजो- सामान, बुनियादी ढांचे , रसद और कार्मिक संबंधी गतिविधियों की विस्तार से समीक्षा की है।

नौसेना ने शनिवार को एक वक्तव्य जारी करके कहा कि यह सम्मेलन पांच से आठ मार्च तक हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया। यह सम्मेलन एक संस्थागत मंच की तरह है, जो सैन्य-रणनीतिक स्तर के महत्वपूर्ण समुद्री सुरक्षा मुद्दों पर विचार-विमर्श का अवसर प्रदान करता है।

नौसेना के शीर्ष कमांडरों ने हाल ही में समुद्री क्षेत्र में देश के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों की व्यापक समीक्षा की। रणनीतिक रूप से स्थित द्वीप क्षेत्रों सहित सैन्य बल की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने का संकल्प लिया गया।

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सम्मेलन का उद्घाटन सत्र विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर आयोजित किया गया और इसके आगे की गतिविधियां 7 और 8 मार्च को हाइब्रिड प्रारूप में राजधानी दिल्ली में आयोजित की गई।

 नौसेना: सम्मेलन में प्रमुख मुद्दे

  • संचालन: पिछले वर्ष की गतिविधियों की समीक्षा, भविष्य के संचालन की योजना, और नौसेना की तैयारी का आकलन।
  • मौजूदा स्थिति: क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य का विश्लेषण, भारत के समुद्री हितों के लिए खतरों का आकलन, और नौसेना की प्रतिक्रिया रणनीति का मूल्यांकन।
  • भविष्य की चुनौतियां: उभरती हुई तकनीकों का प्रभाव, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, और गैर-पारंपरिक खतरों का सामना करने के लिए नौसेना की रणनीति।
  • सैन्य साजो-सामान: नौसेना के आधुनिकीकरण और क्षमता निर्माण की योजना, नए जहाजों और पनडुब्बियों की खरीद, और स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित।
  • बुनियादी ढांचा: नौसेना के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की योजना, नए नौसेना अड्डों का निर्माण, और मौजूदा अड्डों का आधुनिकीकरण।
  • रसद: नौसेना की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की योजना, और युद्ध के समय में नौसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए रणनीति।
  • कार्मिक: नौसेना के कर्मियों की भर्ती, प्रशिक्षण और प्रेरणा के लिए योजना, और नौसेना में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा देना।

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 नौसेना: सम्मेलन के परिणाम

  • नौसेना के संचालन, रणनीति और क्षमताओं को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
  • नौसेना के आधुनिकीकरण और क्षमता निर्माण के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया।
  • नौसेना के कर्मियों की भर्ती, प्रशिक्षण और प्रेरणा के लिए नए उपायों की घोषणा की गई।

 नौसेना: सम्मेलन का महत्व

  • यह सम्मेलन नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, जो अपनी गतिविधियों की समीक्षा करने, भविष्य की योजना बनाने और चुनौतियों का सामना करने के लिए रणनीति तैयार करने का अवसर प्रदान करता है।
  • यह सम्मेलन नौसेना के शीर्ष कमांडरों को एक साथ लाता है और उन्हें महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और समन्वित रणनीति तैयार करने का अवसर प्रदान करता है।
  • यह सम्मेलन नौसेना के आधुनिकीकरण और क्षमता निर्माण को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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चीन का बढ़ता दबदबा:

  • हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को देखते हुए यह बैठक महत्वपूर्ण है।
  • चीन नौसैनिक शक्ति के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

नया नौसैन्य अड्डा:

  • इन चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत ने लक्षद्वीप के मिनिकॉय में आईएनएस जटायु नामक एक नया नौसैन्य अड्डा शुरू किया है।
  • यह अड्डा हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करेगा।

क्षमता वृद्धि:

  • भारत अपनी नौसेना की क्षमता को बढ़ाने के लिए कई अन्य पहल भी कर रहा है।
  • इसमें नए युद्धपोतों और पनडुब्बियों का निर्माण, नौसैनिक विमानन का आधुनिकीकरण और नौसैनिक कर्मियों के प्रशिक्षण में सुधार शामिल हैं।

भारतीय नौसेना देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नौसेना की क्षमता वृद्धि भारत को समुद्री क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगी।

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