
सक्ती, manoja yadaw । हर इंसान का सपना होता है कि एक सुंदर घर हो और इसी सपने को पूरा करने वह अपने जीवन की सारी पूंजी लगा देता है, लेकिन बाद में पता चलता है कि जिस कॉलोनी में मकान या जमीन उसने खरीदी है वो शासन के मापदंडों के विपरीत है और उसके पास रोने के अलावा कुछ नहीं बचता है।
ऐसा ही एक मामला नवगठित जिला सक्ती में सामने आया है जहां बिलासपुर की एक पार्टी द्वारा जिला कार्यालय के सामने वास्तु विहार के नाम से कॉलोनी डेवलोपमेन्ट की बात करते हुए लगभग 20 लाख में 2 बीएचके मकान बना के देने का वादा कर रही है वहीं अगर सिर्फ प्लाट चाहिए तो 600/- वर्ग फुट के हिसाब से जमीन बेच रही है। विडंबना यह है कि जिला कलेक्टर के नाक के नीचे इतनी बड़ी धोखाधड़ी हो रही है फिर भी राजस्व अमला सहित संबंधित विभाग आंखे मूंदे बैठा है और ठगों को ठगी करने के लिए पूरी छूट दे दी गई है।
सूत्रों की मानें तो बिलासपुर निवासी पटेल द्वारा स्वयं को मालिक बताते हुए 5 एकड़ में वास्तु विहार कालोनी बनाने की बात करते हुए नगर के नए बस स्टेशन के पास ऑफिस खोल बैठें हैं और अपने जीजा को प्रोजेक्ट का हेड बता लोगों को जमीनें दिखा और उनके सपनों के आशियाने बनाने का दावा कर रहें हैं, वहीं लोगों को बताया जा रहा है कि सकरेली ब पंचायत में जेठा रेलवे स्टेशन के सामने यह कॉलोनी डेवलप की जा रही है।
जबकि उक्त स्थान शासन के नियमों के अनुरूप शहर एवं नगर निवेश क्षेत्र है बावजूद इसके अब तक इनके द्वारा कॉलोनाइजर एक्ट अंतर्गत कोई रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है और ना ही रेरा अंतर्गत रजिस्ट्रेशन कराया गया है। जबकि कॉलोनी डेवलपमेंट के लिए कॉलोनाइजर पंजीयन जरूरी होता है।
वहीं बता दें कि अब तक इनके द्वारा कच्चे प्लाटिंग के रूप में करीब 100 प्लाट काटे गए हैं वहीं जमीन या मकान खरीदने वालों को फूली डेवेलोप कॉलोनी देने का वादा करते हुए 30 फीट और 25 फ़ीट चौड़ी सड़क, गार्डन, मंदिर सहित पार्टी लॉन 24 घण्टे पानी, बिजली की सुविधाओं का लालच दिया जा रहा है, मजे की बात है कि उक्त भूमि का डायवर्सन भी नहीं हुआ है और ऐसी स्थिति में जानकारों का मानना है कि उक्त स्थान पर रेरा का नियम लागू होता है लेकिन सभी नियमों को धता बताते हुए वास्तु विहार कालोनी की नींव रख दी गई है। वहीं उक्त कॉलोनी के पाम्पलेट, होडिंग जिले के अधिकांश बड़े कस्बों में लगा दिए गए हैं ।
नियम के जानकार कहते हैं कि यह कॉलोनी के प्लान पूरी तरह से लोगों के साथ ठगी करने का तरीका नजर आ रहा है, क्योंकि जमीनें बिकने के बाद जो बचत जमीनें हैं जिन्हें तथाकथित कॉलोनाइजर बाद में बेच देगा तो वर्तमान में खरीदे गए जमीन और मकान वालों को आने जाने तक के लिए परेसानी होगी, ऐसी स्थिति में प्रशासन का चुपचाप तमाशबीन बने रहना भी कई सवालों को जन्म देता है।