बीजापुर। School will Open : गर्मियों की छुट्टियों के बाद छत्तीसगढ़ में 26 जून से स्कूल खुल गए। प्रदेशभर के स्कूलों में प्रवेश उत्सव मनाया गया। ज्यादातर बच्चे हंसते-खेलते तैयार होकर स्कूल पहुंच गए। स्कूल में उनका तिलक लगाकर, माला पहनाकर, तो कहीं चाकलेट खिलाकर स्वागत किया गया। लेकिन एक बच्चे ने स्कूल ना जाने की जिद पकड़ ली। उसकी मां ने समझाया… मनाया…. दुलारा… पर वह नहीं माना। बच्चा अपनी जिद से तनिक भर भी न डिगा… समझा-मना कर हार चुकी मां का धैर्य तब जवाब दे गया।
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शिक्षा की दृष्टि से पिछड़ा इलाका
School will Open : बच्चे का हाथ पकड़ी और घसीटते हुए ही स्कूल तक छोड़ने गई। रास्ते भर वह उसे कभी पुचकारती तो कभी अनपढ़ रह जाने की उलाहना देती। यह दृश्य है देश के सबसे नक्सल प्रभावित और शिक्षा की दृष्टि से पिछड़ा इलाका माने जाने वाले बस्तर के बीजापुर जिले का। बस्तर में शिक्षा के प्रति इतनी जागरूकता अच्छा संकेत है। मां भले ही स्कूल ना जा पाई हो, लेकिन उसे अपने बच्चे के अनपढ़ ना रह जाने की पूरी चिंता है। मां अपने बच्चे को हर हाल में स्कूल भेजना चाहती है।
स्कूल ना जाने की जिद पर आया मां को गुस्सा
School will Open : दरअसल यह कहानी है, बीजापुर जिले के डुमरीपाल गांव का। यहां का एक बच्चा स्कूल जाने से मना करने लगा। उसकी अनपढ़ मां ने पहले तो उसे प्यार से समझाया। लेकिन जब बच्चा नहीं माना तो उसका पारा चढ़ गया। उसने बच्चे को डांट लगाई और फिर घसीटते हुए स्कूल लेकर गई। बच्चा भी मां के गुस्से के आगे हार गया और जाकर अपनी कक्षा में पढ़ने के लिए बैठ गया।
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School will Open : स्कूल ना जाने की जिद पर आया मां को गुस्सा
दरअसल यह कहानी है, बीजापुर जिले के डुमरीपाल गांव का। यहां का एक बच्चा स्कूल जाने से मना करने लगा। उसकी अनपढ़ मां ने पहले तो उसे प्यार से समझाया। लेकिन जब बच्चा नहीं माना तो उसका पारा चढ़ गया। उसने बच्चे को डांट लगाई और फिर घसीटते हुए स्कूल लेकर गई। बच्चा भी मां के गुस्से के आगे हार गया और जाकर अपनी कक्षा में पढ़ने के लिए बैठ गया।
School will Open : सालों से अनपढ़ होने का दंश झेल रहे लोग
बाहर से देखने पर यूं लगेगा कि, माता-पिता अपने बच्चे के साथ बुरा बर्ताव कर रहे हैं लेकिन सच तो ये है कि, उन्हें पढ़ाई का महत्व पता है। वे चाहते हैं कि बच्चा अच्छे से पढ़ाई करे फिर चाहे तरीका जो भी हो साम-दाम-दंड भेद, जिससे की बच्चे का भविष्य सुधर सके। बस्तर के अंदरूनी इलाकों से आने वाली ये तस्वीरें इस बात की गवाह हैं कि, वहां पर शिक्षा की अलख जग चुकी है।
School will Open : अगली पीढ़ी की चिंता
शिक्षा के अभाव के कारण ही आदिवासी छले जा रहे हैं और अब वे नहीं चाहते कि, उनकी आने वाली पीढ़ी को भी अनपढ़ होने का दंश झेलना पड़े। इसलिए वे अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। अगर बच्चा स्कूल जाने से मना करता है तो वे डांट-फटकार कर उसे स्कूल छोड़ आते हैं। उन्हें विश्वास है कि, बच्चे पढ़ाई के जरिए ही अपनी जिंदगी संवार सकते हैं।