बैंगलोर,by kuldeep | प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, लोकप्रिय लेख़क, कवि एवं श्रीरामचरितमानस के प्रवक्ता डॉ आदित्य शुक्ल द्वारा लिखित पुस्तक “सफल व्यक्तित्व के हनुमान मंत्र” की सफ़लता के बाद उनकी एक और कृति “मेरे राम – नर से नारायण की अनुपम यात्रा” का विमोचन जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि जी महाराज के कर कमलों से हरिहर आश्रम, हरिद्वार में किया गया |
संकट बड़ा है, भारी है। हर दिन एक नई और जटिल परीक्षा-सी है। जब ऐसी घड़ी आती है तो भारतीय संस्कृति के सर्वोच्च नायक और जन-जन के आदर्श प्रभु श्रीराम सहज याद आते हैं। रामकथा में प्रभु को हर मुश्किल के सामने संयमी और संकल्पवान दर्शाया गया है, जिससे वे संकट को दूर करने में सक्षम हो पाते हैं। इन दिनों श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या में भूमिपूजन की तैयारियों जोरों पर है। जाने-माने लेख़क, कवि एवं श्रीरामचरितमानस के प्रवक्ता डॉ आदित्य शुक्ल से जाना कैसे जब प्रभु श्रीराम के रूप में हमारे पास है मानवता का सर्वोच्च आदर्श तो हमें कहीं और जाने की जरूरत नहीं। साथ ही, जानेंगे प्रभु के व्यक्तित्व से सीखने योग्य वे मंत्र, जो हर मुश्किल में बन सकते हैं प्रेरणा….
इनकी रचना “मेरे राम – नर से नारायण की अनुपम यात्रा” में क्या है ?
कौनसी ऐसी बातें है, जो लोगों की व्यक्तित्व को बदल देता है ! राम कैस प्रांसगिक है !
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