एजेंसी, काठमांडो
गठबंधन में प्रधानमंत्री देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस, प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन-माओवादी, माधव नेपाल की अध्यक्षता वाली सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट, महंत ठाकुर की लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी और चित्रा बहादुर के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनमोर्चा शामिल हैं।
प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-माओवादी केंद्र के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल प्रचंड नेपाल में नई सरकार बनाने के लिए सहमत हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, शनिवार को हुई बैठक में दोनों नेता देश में नई बहुमत वाली सरकार में अपने सत्तारूढ़ पांच दलों के गठबंधन को जारी रखने पर सहमत हुए। सत्तारूढ़ गठबंधन ने अब तक 82 सीटें हासिल की हैं, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल गठबंधन ने सीधे चुनाव के तहत 52 सीटें जीतीं हैं।
गठबंधन में प्रधानमंत्री देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस, प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन-माओवादी, माधव नेपाल की अध्यक्षता वाली सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट, महंत ठाकुर की लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी और चित्रा बहादुर के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनमोर्चा शामिल हैं।
मतगणना में पिछड़े तो ओली का ‘कम्युनिस्ट एकता’ दांव
नेपाल के आम चुनाव में सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस के गठबंधन की लगातार बढ़त को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री और चीन के करीबी केपी शर्मा ओली ने एक बार फिर से ‘कम्युनिस्ट एकता’ का दांव चला है। उन्होंने फोन करके कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के प्रमुख पुष्प कमल दहल को उनकी जीत पर बधाई दी और साथ मिलकर सरकार बनाने का प्रस्ताव दे दिया।
हालांकि दहल ने ओली के प्रस्ताव पर कोई जवाब नहीं दिया है लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षक ओली के इस दांव को गंभीर मान रहे हैं, क्योंकि सत्ताधारी गठबंधन में दहल की पार्टी दूसरे नंबर पर है। नेपाल की राजनीति के कद्दावर नेता उपेंद्र कुमार ने कहा है कि अभी से कुछ कहना मुश्किल है क्योंकि सत्ताधारी गठबंधन जरूरी बहुमत के आंकड़े के काफी करीब पहुंचता जा रहा है। लेकिन कम्युनिस्ट एकता का दांव आखिरी मौके पर तभी काम आएगा जब ओली के पास पर्याप्त सीटें हों।
सत्ताधारी गठबंधन टूटना मुश्किल
डेढ़ साल पहले तक दहल और ओली एक ही पार्टी का हिस्सा थे। लेकिन पार्टी बंटी व प्रचंड ने नेकां से हाथ मिला लिया। उसी समय माधव कुमार नेपाल ने भी ओली से अलग होकर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल के नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली। यह पार्टी भी सत्ताधारी गठबंधन में शामिल है।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक, अगर ये दोनों पार्टियां यूएमएल से मिल जाएं, तो ‘कम्युनिस्ट सरकार’ बनने की संभावना मजबूत हो जाएगी। वैसे इन अटकलों पर माओवादी सेंटर के पोलित ब्यूरो के सदस्य सुनील मानधर सत्ताधारी गठबंधन टूटने से इनकार किया है।