ग्वालियर | Namami Bharat Kavi Sammelan: वो कहकर के गया था मैं चाँदनी रात लौटूंगा, सो गया वो तो सरहद पर वो घर पर सो नहीं पायी….. ये पंक्तियाँ थीं कवि शिवम सिंह सिसौदिया की ।
गणतंत्र दिवस की संध्या को राम मंदिर चौराहा स्थित राजमणि कॉम्प्लेक्स में न्यानेश्वरी फिल्म्स और अविरल काव्य मंच के संयुक्त तत्वावधान में नमामि भारत कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया ।
जिसमें ग्वालियर शहर के युवा कवियों शिवम सिंह सिसौदिया, पलक सिकरवार, हिमांशु शर्मा, सुयश श्रीवास्तव, कल्पेश प्रजापति, गोविंद भदौरिया, अंजली चौरसिया, विकास बघेल और हेमंत विशाल को आमंत्रित किया गया।
Namami Bharat Kavi Sammelan: जिनमें प्रत्येक कवि ने अपनी ओज, भक्ति और प्रेम से परिपूर्ण कविताओं की प्रस्तुतियां देकर श्रोताओं को देशभक्ति के रस से सरावोर कर दिया।
Namami Bharat Kavi Sammelan: देर रात तक चले इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता भक्ति और वीर रस के कवि शिवम सिंह सिसौदिया ने की, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवयित्री डॉ करुणा सक्सेना जी उपस्थित रहीं, वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में अमर कुटे उपस्थित रहे।
Namami Bharat Kavi Sammelan: कार्यक्रम का मंच संचालन शायर सुयश श्रीवास्तव द्वारा किया गया
कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन करके किया गया, इस दौरान शिवम सिंह सिसौदिया द्वारा सरस्वती वंदना की गयी। कार्यक्रम का मंच संचालन शायर सुयश श्रीवास्तव द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन फिल्म निर्देशक प्रशांत राव चौहान और संयोजन उमेश कुशवाह द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में आयोजक द्वारा स्मृति चिह्न भेंट कर सभी कवियों व अतिथियों का सम्मान किया गया।
Namami Bharat Kavi Sammelan: कवियों की कुछ इस प्रकार रहीं प्रस्तुतियां –
- सरहद पे मर मिटा जवान बेमिसाल है।, रास्ता निहारती है माँ, तू भी कमाल है।। – डॉ करुणा सक्सेना
- तीज त्यौहार की खुशियाँ घरों में जो उजाले हैं, प्रकाशित दीप दानों से ही हर मस्ज़िद शिवाले हैं।, मनाओ ईद दीवाली मगर पूछो ज़रा उनको, मिठाई क्या है सरहद पर छिने जिनके निवाले हैं।। – शिवम सिंह सिसौदिया
- दुश्मनी की खातिर चीन दिया जाएगा, बगैर किरदार का सीन दिया जाएगा, कश्मीर का खयाल निकालो जहन से, नही तो लाहौर भी छीन लिया जाएगा – कल्पेश प्रजापति
- तुम शान हो वतन की गीता पुराण हो तुम।, सैनिक नहीं हो केवल भारत के प्राण हो तुम।। – हिमांशु शर्मा
- सुनो सुनो स्वातंत्र्य समर, सीने में धधकती आग सुनो, तानसेन की तानों में अब, आक्रोशों के राग सुनो। – पलक सिकरवार
- क्या लगता है मिल गयी जो चाहते थे वो, हिंदुस्तान की जमीन को ज़िंदा चाहते थे वो – सुयश श्रीवास्तव
- हम देते हैं उन वीरों को सलामी। जिन्होंने देश के नाम लुटा दी ये जवानी।। – गोविंद भदौरिया
- ज़ब ज़ब राष्ट्र पर विघ्न बाधाएं आयेंग, ज़ब ज़ब दुष्टो की नीतियाँ मासूमों को रुलायेंगी। कालचक्र के प्रभाव से नक्षत्रो की दिशा बदल जाएगी, प्रत्येक नारी के भाव मे, रानी लक्ष्मीबाई नेतृत्व करने आएगी।। – अंजली चौरसिया
- सरहद के रणधीरों तुमको नमन मेरा, हे वसुधा के वीरो तुमको नमन मेरा – हेमंत विशाल
- प्रेमियों का वतन है ये यहाँ सब प्रेम करते हैं। किसी को इस तिरंगे से किसी को इस वतन से है।। – विकास बघेल