Holi 2022: होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का रूप, भारत की इन पांच जगहों की होली है मशहूर

अध्यात्म,

हिंदू धर्म में होली का अधिक महत्व है। रंगों का यह त्योहार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन और उसके दूसरे दिन होली खेलने का उत्सव मनाया जाता है।

पंचांग के अनुसार, होली के ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक आरंभ होते हैं। इन आठ दिनों के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। इस बार 18 मार्च को होली मनाई जाएगी।

होली मनाने के पीछे की पौराणिक कथा

होली मनाने के पीछे शास्त्रों में कई पौराणिक कथा दी गई है। लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी प्रचलित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है।

कथा के अनुसार, असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। बालक प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती।

भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गयी, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप खुद होलिका ही आग में जल गई। अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ। इस प्रकार होली का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

भारत की इन पांच जगहों की होली है मशहूर

रंगों का त्योहार आने वाला है। 17 मार्च को होलिका दहन और 18 मार्च को होली का पावन पर्व है। वैसे तो होली पूरे देश में बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाई जाती है लेकिन भारत में ही अलग अलग जगहों पर होली को लेकर अलग अलग परंपरा और अलग तरीके से मनाने की प्रथा है। देश के कई हिस्सों में मनाई जाने वाली होली न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां कि होली में शामिल होने के लिए लोग दूर दराज से आते हैं। अधिकतर लोगों को यह तो पता है कि मथुरा बरसाने की होली सबसे मशहूर है लेकिन इसके अलावा भी कई और जगहें हैं जहां कि होली काफी प्रसिद्ध और खास है। कहीं फूलों से होली खेली जाती है तो कहीं रंगों से, किसी जगह पर लड्डू की होली होती है तो कहीं लट्ठमार होली की परंपरा है।

लठमार होली, मथुरा-वृंदावन

उत्तर प्रदेश में श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा बसी है, जहां की होली देश दुनिया में सबसे ज्यादा मशहूर है। मथुरा में लट्ठमार होली मनाई जाती है। होली में मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर और वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होली का जश्न देखने लायक होता है। यहां लट्ठमार होली की परंपरा है, जिसमें महिलाएं लट्ठ यानी डंडों से लड़कों को खेल-खेल में मारती हैं और रंग लगाती हैं।

लड्डू और छड़ीमार होली, बरसाना

बरसाना में भी मथुरा की लठमार होली की तरह की छड़ीमार होली खेली जाती है। बरसाने की होली में महिलाएं प्रतिकात्मक तौर पर पुरुषों को लट्ठ या छड़ी से मारती हैं। वहीं पुरुष ढाल से अपनी रक्षा करते हैं। इसके अलावा यहां होली से कुछ दिन पहले लड्डू होली मनाई जाती है, जिसमें पंडित भगवान कृष्ण को लड्डू का भोग लगाते हैं और फिर उन्हीं लड्डूओं को भक्तों की ओर फेंकते हैं। इसके बाद अबीर गुलाल और फूलों की होली खेली जाती है।

हंपी, कर्नाटक

कर्नाटक में दो दिन की होली मनाई जाती है। कर्नाटक की होली काफी अनोखे तरीके की होती है, जो हंपी में मनाई जाती है। दूर दराज से लोग हंपी घूमने लिए आते हैं और नाच गाकर रंगों से होली मनाते हैं। हंपी की ऐतिहासिक गलियों में ढोल नगाड़ों की थाप के साथ जुलूस निकाले जाते हैं। कई घंटों तक रंग खेलने के बाद लोग तुंगभद्रा नदी और उसकी सहायक नहरों में स्नान करते हैं।

मंजुल कुली और उक्कुली, केरल 

केरल की होली भी अपने आप में खास होती है। केरल में रंगों का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। केर में होली को मंजुल कुली या उक्कुली के नाम से जाना जाता है।

डोल जात्रा, असम 

असम में भी होली को अलग नाम और खास तरीके से मनाया जाता है। यहां होली को डोल जात्रा कहा जाता है। असम में दो दिन का होली उत्सव होता है। पहले दिन लोग मिट्टी की बनी झोपड़ी को जलाकर होलिका दहन करते हैं। वहीं दूसरे दिन रंग और पानी से होली खेली जाती है।

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