महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस जी श्री राम कथा आयोजन में हुए शामिल…. परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी से लिए आशीर्वाद

श्री राम कथा
महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस श्री राम कथा आयोजन में हुए शामिल.... परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी से लिए आशीर्वाद

Raipur | आनंद नगर दुर्गा मंदिर रायपुर में कथा के तीसरे दिन गुरुवार को कथा व्यास परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी @SANKARSHANSHARAN ( गुरुजी) (Sankarshanjiके मुखारविंद से भगवान राम के जन्म उत्सव की कथा का सुंदर वर्णन सुनाया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है ,सभी भावविभोर होकर नृत्य किए,सोहर गीत गाए और भगवान राम के जन्म का आनंद उत्सव धूमधाम से मनाया गया।

महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल श्री रमेश बैस जी आज श्री राम कथा आयोजन के कार्यक्रम में शामिल हुईं। उन्होंने आयोजन में शामिल होकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी ( गुरुजी) का छत्तीसगढ़ की जनता की ओर से स्वागत किया। राज्यपाल ने कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है कि परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी ( गुरुजी) जैसे विद्वान संत का आगमन हुआ और उनका आशीर्वाद प्रदेश के लोगों को मिला ।

आज कथा में महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल श्री रमेश बैस जी ने कहा कि हम कोई भी पुस्तक एक बार से दो बार पढ़ते हैं तो उब जाते हैं लेकिन रामचरितमानस ही एक ऐसा ग्रंथ है जिसको बार-बार सुनते हैं और उसको सुनने की इच्छा बढ़ जाती है और प्यास बढ़ जाती है और हर पंक्ति से हर चौपाई से हमें कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है। श्रीराम कथा हमें मर्यादा में रहना सिखाती है। जनमानस के कल्याण के लिए बहुत अच्छी कथा है। भगवान राम का जीवन हमारे समाज के लिए एक आदर्श है। साथ ही महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल ने कहा कि जीवन में आने वाली परेशानियों एवं कष्टों के निवारण के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ भगवान का स्मरण करें और विद्वान एवं सिद्ध संत महात्माओं के दिखाए सत्य के मार्ग का अनुसरण करें।

परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लिए सौभाग्य एवं गर्व का विषय है कि महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल श्री रमेश बैस जी देश और  प्रदेश की सेवा कर रहें हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में पद अभिमान लाता है। राज्यपाल श्री रमेश बैस जी पद पर होते हुए भी अत्यंत सौम्य और सरल हैं। महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल श्री रमेश बैस जी ने परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी ( गुरुजी) का शॉल एवं भेंट प्रदान कर सम्मानित किया। परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी ( गुरुजी) ने भी महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल श्री रमेश बैस जी को शॉल और गमछा भेंटकर किये। आयोजकों द्वारा शॉल और श्री फल भेंटकर सम्मानित किया गया।

कथा को आगे बढ़ाते हुए परम पूज्य गुरुदेव यह बताएं कि हमेशा हमें अपने धर्म ध्वजा की रक्षा करनी चाहिए जब-जब होई धरम की हानि….. जब धर्म की हानि होती है अधर्म का बोलबाला हो जाता है भगवान कोई न कोई रूप में इस पृथ्वी पर अवतार लेते हैं ,भगवान तो हमेशा रहते हैं तो उनका जन्म नहीं होता अवतार होता है ,भगवान इस पृथ्वी पर अवतार लेते हैं और फिर से धर्म की स्थापना करते हैं । गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने यही कहा यदा यदा ही धर्मस्य…भगवान राम ज्ञानियों की रक्षा करने के लिए प्रगट होते हैं विप्र धेनु सुर संत हित…. विप्र के लिए ,गौ माता के लिए ,संतों के लिए सब की रक्षा करने के लिए समाज के कल्याण के लिए भगवान इस पृथ्वी पर अवतार लेते है और लीला करके यह दिखाते हैं कि किस तरह मनुष्य के जीवन में परेशानी आती है और हमें सबके साथ कैसे आचरण करना चाहिए, कैसे व्यवहार करना चाहिए ,माता पिता के साथ, गुरु के साथ, मित्र के साथ ,और किस तरह से जीवन जीना चाहिए जीवन जीने की कला बताते है।

नारद मोह लीला के माध्यम से यह बताएं कि हमे कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए बिना सोचे किसी को कुछ भी नहीं बोलना चाहिए और हमेशा अपने गुरु का बड़ों का सम्मान करना चाहिए नारद जी को अहंकार हो जाता है कि मैं काम क्रोध में विजय प्राप्त कर लिया हूं, भगवान उसके अहंकार नष्ट तोड़ने के लिए उसे बंदर का रूप देते हैं परम हित करते है।

परिवर्तन ही संसार का नियम है जब भगवान राम परमधाम को जाते हैं तभी भगवान कृष्ण अवतार होता है तो हम सबको परिवर्तन को स्वीकार करना चाहिए सुख दुख लाभ हानि जय विजय इस परिवर्तन जीवन में आते ही रहते हैं राजा प्रताप भानु की कथा बताते हुए परम पूज्य गुरुदेव यह बताएं कि जब जीवन में जिजीविषा इच्छा ज्यादा हो तब छल हो जाती है अभी इच्छा की वजह से जो हमें प्राप्त है वह भी हम खो देते हैं राजा प्रताप भानु कपट मुनि के जाल में फंस जाते हैं, जो अपनी हार का बदला लेने के लिए छल के कारण चोला धारण करते हैं वह समाज को बर्बाद करते हैं । और जो हरि के कारण चोला धारण करते वह समाज का कल्याण ही करते हैं । कपटी मुनि अपने हार का बदला लेने के कारण चोला धारण करते हैं और प्रताप भानु अधिक जिजीविषा में के कारण उसके चपेट में आते हैं , और यह होता है कि मनुष्य मोह के कारण सबको छोड़ देता है ,लेकिन मोह नहीं छोड़ता अंत में पतन का कारण बन जाता है , हर मनुष्य के अंदर यह मोह रहता है जितना अधिक ज्ञान होगा वह नष्ट होता जाएगा । गीता में भगवान कृष्ण के पास अर्जुन यही कहते हैं नष्टो में मोहा … मोह के वशीभूत होकर मनुष्य कुप्रवृत्ति में आते हैं, अपना छोड़ लेते हैं,

इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष उमाकांत वर्मा , प्रदेश महासचिव चंद्रभूषण वर्मा, आयोजक डॉ.प्राणेश गुरूगोस्वामी माँ कामाख्या शिष्य मंडल के सदस्य तथा श्री रामकथा आयोजन समिति के सदस्य तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं श्रोतागण उपस्थित थे।