भोपाल। Goswami Tulsidas Jayanti: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी की 528वीं जयंती के अवसर पर हम एक ऐसे संत को स्मरण कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल भारतीय साहित्य को एक अमर काव्य ‘रामचरितमानस’ दिया, बल्कि हमारे सामाजिक मूल्यों और जीवनदर्शन को भी आकार दिया। उन्होंने कहा कि श्रीरामचरितमानस केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है, जिसमें धर्म, मर्यादा और नीति की गहराई समाई हुई है।
डॉ. यादव ने रामचरितमानस को भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर बताते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी का योगदान चिरस्थायी है। उनकी वाणी आज भी लोगों के जीवन को दिशा देती है। उन्होंने आग्रह किया कि तुलसी साहित्य को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के जीवन मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है।
Goswami Tulsidas Jayanti: भोपाल में ‘श्रीराम संग्रहालय’ की स्थापना के लिए उन्होंने 5 करोड़ रुपये की राशि की घोषणा
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के प्रत्येक नगरीय निकाय में आधुनिक गीता भवन बनाए जा रहे हैं। साथ ही, श्रीराम वनगमन पथ और श्रीकृष्ण लीलास्थलों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने का काम भी तेज़ी से चल रहा है। राजधानी भोपाल में ‘श्रीराम संग्रहालय’ की स्थापना के लिए उन्होंने 5 करोड़ रुपये की राशि की घोषणा की।
Goswami Tulsidas Jayanti: मानव भवन में तुलसी मानस प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित तुलसी जयंती समारोह में मुख्यमंत्री ने प्रख्यात संत गुरु गोविंददेव गिरि जी महाराज को पद्मभूषण युगतुलसी पंडित रामकिंकर उपाध्याय राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया। उन्हें अंगवस्त्र, सम्मान-पत्र और दो लाख रुपये की राशि भेंट की गई। गिरि जी महाराज श्रीराम जन्मभूमि न्यास अयोध्या के प्रमुख न्यासी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, “रामायण हमारे देश का सांस्कृतिक आधार है
Goswami Tulsidas Jayanti: मुख्यमंत्री ने कहा, “रामायण हमारे देश का सांस्कृतिक आधार है। श्रीराम आज केवल धर्म का प्रतीक नहीं, बल्कि राष्ट्रचेतना के स्वरूप हैं। रामलला का अयोध्या मंदिर में पुनर्स्थापन 500 वर्षों की आस्था की विजय है, जिसमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की अग्रणी भूमिका रही है।”
गुरु गोविंददेव गिरि जी महाराज ने अपने वक्तव्य में कहा कि श्रीराम का जीवन भारतीय संस्कृति का जीवंत चित्रण है। उन्होंने कहा कि धर्म के दस मूल तत्व श्रीराम में समाहित हैं। तुलसीदास जी ने कठिन कालखंड में भारतीय आत्मा को जाग्रत रखने का कार्य किया, और आज भी हनुमान चालीसा तथा चौपाइयां जनमानस को बल देती हैं।
Goswami Tulsidas Jayanti: सुश्री मंदाकिनी दीदी, तुलसी मानस प्रतिष्ठान की मार्गदर्शिका, ने कहा कि यह सम्मान केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि उस संकल्प का है जो सनातन संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए लिया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार सनातन मूल्यों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है।
सम्मान समारोह युगतुलसी पंडित रामकिंकर उपाध्याय की स्मृति को जीवंत बनाए रखने के उद्देश्य से शुरू किया गया
Goswami Tulsidas Jayanti: प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि यह सम्मान समारोह युगतुलसी पंडित रामकिंकर उपाध्याय की स्मृति को जीवंत बनाए रखने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। उन्होंने गुरु गोविंददेव गिरि जी महाराज के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने मात्र 8 वर्ष की उम्र में रामकथा का वाचन प्रारंभ कर दिया था और आज वे भारतीय संस्कृति के सशक्त प्रतिनिधि हैं।
इस भव्य समारोह में पंडित रामकिंकर उपाध्याय की शिष्या सुश्री मंदाकिनी दीदी, प्रतिष्ठान के कार्याध्यक्ष रघुनंदन शर्मा, विधायक भगवानदास सबनानी, समाजसेवी रविन्द्र यति, नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी, और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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