साहित्य/संपादकीय;3 मार्च । covering of clay now : कविता जीवन के गहरे सत्य को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त करती है।
प्रकृति के निरंतर चक्र की याद दिलाती
covering of clay now : यह हमें बताती है कि हम प्रकृति से ही आए हैं और अंत में हमें इसी में विलीन हो जाना है। जीवन की अस्थायी प्रकृति और कर्मों के महत्व को समझकर, हमें अपने जीवन को एक कला की तरह जीना चाहिए। हमें प्रकृति के निरंतर चक्र की याद दिलाती है, जिसमें जन्म, जीवन और मृत्यु शामिल हैं। यह हमें बताता है कि हम इस चक्र का एक हिस्सा हैं, और हमें इसे स्वीकार करना चाहिए।
covering of clay now : माटी का ओढ़ना, माटी का बिछौना
आया था मैं प्रकृति की छाँव में
लौटूँगा फिर उसी के गाँव।
क्षणभंगुर है यह जीवन सारा,
रह जाएगा बस कर्म हमारा।
बस माटी का ओढ़ना,
और माटी का ही बिछौना
सूरज की किरणें सहलाएँगी,
चाँदनी रातें लोरी गाएँगी।
हवा सुनेगी मेरे गीतों को,
नदियाँ मेरे सुर बहाएँगी।
फूलों की खुशबू रह जाएगी,
कर्मों की रोशनी जगमगाएगी।
जीवन पल भर की छाया है,
प्रकृति ने ही अपनाया है,
धरती का आँचल मिला
अंबर ने दिया सहारा।
पेड़ों की छाया में बढ़े हम,
फूलों ने प्यार उतारा।
नदी बनी प्यास बुझाने,
दिया अन्न पेट भरने को
हवा बनी जीवन संजीवनी,
खिले फूल हँसने को।
आए थे प्रकृति की छाँव में,
जाएँगे फिर उसी के गाँव में।
वही माटी का ओढ़ना होगा,
वही माटी का होगा बिछौना।
- कुलदीप शुक्ला
पत्रकार
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