समलैंगिक शादी को शहरी अभिजात्य अवधारणा बताने का केंद्र के पास कोई आंकड़ा नहीं: सुप्रीम कोर्ट

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नयी दिल्ली, (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दी, जिसमें समलैंगिक शादी को एक शहरी अभिजात्य अवधारणा बताया गया है।

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की संविधान पीठ ने समलैंगिक शादी को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की यह दलील खारिज कर दी।

शीर्ष अदालत ने दलील खारिज करते हुए कहा कि दलील के समर्थन में केंद्र सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं है।
पीठ ने यह कहा कि राज्य (कोई सरकार) किसी व्यक्ति के साथ उस विशेषता के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है, जिस पर व्यक्ति का नियंत्रण नहीं है।