
सक्ती | विधानसभा चुनाव के लिए घंटी बज चुकी है। शंखनाद हो चुका है। आचार संहिता लगने वाली है। भाजपा कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के द्वारा दम खम दिखाने जोर आजमॉइश चल रही है। ऐसे में सक्ती विधानसभा क्षेत्र में भी दिन प्रतिदिन राजनीतिक भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। जहां भाजपा कांग्रेस को लेकर किसमें कितना है दम जैसी बातें चल रही है। वही अब चौक चौराहों पर यह चर्चा आम हो गई है की सक्ती विधानसभा क्षेत्र में किसकी जीत होगी और किसे मिलेगी हार का तोहफा। वही इन सब राजनीतिक चर्चाओं के साथ-साथ अब प्रत्याशी चयन को लेकर भी चर्चा जोरों से चलने लगी है। वहीं किसी भी क्षण प्रत्याशियों की घोषणा होने की स्थिति में भाजपा कांग्रेस दोनों पार्टियों के दावेदारों की धड़कनें भी तेज होने लगी है । हालांकि कांग्रेस से एकमात्र प्रत्याशी के रूप में डॉक्टर चरण दास महंत के नाम पर मुहर लगने की बातें कहीं जा रही है। वही अन्य दावेदारों ने भी अपनी उम्मीदें बरकरार रखते हुए टिकट लेने के प्रयास में लगे हुए हैं। देखना है भाग्य किसका कितना साथ देता है। और सक्ती की तकदीर और तस्वीर बदलने किसे यहां नेतृत्व करने का अवसर मिलता है
यह हैं कांग्रेस के मुख्य दावेदार
सक्ती विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हमेशा एक्शन मूड में दिखाई पड़ती है वही भाजपा हमेशा कमजोर रहते हुए भी कई बार कांग्रेस पर भारी पड़ जाती है ऐसे में कांग्रेस से दावेदारी कर रहे प्रत्याशियों की हम बात करें तो वर्तमान समय में वर्तमान क्षेत्रीय विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर चरण दास महंत यहां सबसे प्रबल दावेदार एवं लगभग इन्हें फाइनल प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा है ज्ञात हो कि पिछले चुनाव में 72 लोगों ने विधानसभा प्रत्याशी बनने कांग्रेस से आवेदन किया था। लेकिन डॉक्टर चरण दास महंत का फॉर्म भरते ही उन 72 दावेदारों में से अधिकांश ने डॉक्टर चरण दास महंत के समर्थन में आते हुए उन्हें प्रत्याशी बनाने जोरदार ढंग से अपनी सहमति दी थी। वहीं वर्तमान समय में डॉक्टर चरण दास महंत के साथ-साथ कुछ अन्य दावेदार भी हैं जिन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हुए आवेदन जमा किया है जिसमें अभी भी एक दो को अगर छोड़ दें तो सभी डॉक्टर चरण दास महंत के समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे हैं। वर्तमान समय में कांग्रेस की राजनीति में एक नया मोड़ भी दिखाई दे रहा है। जिसमें डॉक्टर महंत के समर्थक एवं कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी रहे मनहरण राठौर अभी भी अपनी दावेदारी को पुख्ता बनाए हुए हैं। एवं समय-समय में शक्ति प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं । हालांकि मनहरण राठौर के प्रत्याशी बनने की चाह आम जनमानस के समझ से परे बताया जा रहा है लोग अभी भी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि डॉक्टर चरण दास महंत के द्वारा आवेदन जमा करने के बाद भी मनहरण राठौर आखिर क्यों प्रत्याशी बनने को लेकर डटे हुए हैं । सभी यह मानते हैं कि डॉक्टर चरण दास महंत एवं मनहरण राठौर एक सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। एसे में मनहरण राठौर का प्रत्याशी बनने को लेकर प्रयास कौतूहल का विषय बना हुआ है । दूसरी ओर अन्य दावेदारों की बात करें तो महल से धर्मेंद्र बहादुर एवं कांग्रेस से जनपद पंचायत अध्यक्ष राजेश राठौर तथा पूर्व जिला पंचायत सदस्य अमित राठौर का नाम प्रमुख रूप से आ रहा है
भाजपा से चौकाने वाला नाम आ सकता है सामने
सक्ती विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की तैयारी को लेकर अगर बात करें तो अभी तक भाजपा लय प्राप्त नहीं कर पाई है जिससे उन्हें विजय प्राप्त हो सके। बताया यह भी जा रहा है कि भाजपा से अबकी बार किसी नए चेहरे को टिकट मिल सकती है और वह नाम चौंकाने वाला भी हो सकता है जो नाम चल रहे हैं उसकी अगर हम बात करें तो सबसे प्रमुख दावेदार के रूप में नया चेहरा प्रेम पटेल के दावेदारी को पुख्ता माना जा रहा है वर्तमान में प्रेम पटेल जहां एक ओर हरदिहा मरार पटेल समाज के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते अपनी दावेदारी को मजबूत बता रहे हैं वहीं दूसरी ओर लंबे समय से भाजपा की राजनीति में जुड़े होने के कारण तथा जनपद पंचायत में सांसद प्रतिनिधि एवं ग्रामीण मंडल भाजपा के अध्यक्ष होने के कारण भी इनका नाम प्रमुखता से चल रहा है पिछले दिनों भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव से उनकी खास मुलाकात से अटकलें का बाजार भी गर्म हो गया था। दूसरे दावेदार कि हम बात करें तो जिला पंचायत सदस्य विद्या सिदार का नाम पिछले विधानसभा चुनाव से चलने लगा है लेकिन छत्तीसगढ़ में पहले से ही अनुसूचित जनजाति वर्ग विधायकों के लिए सीट आरक्षित होने के कारण सामान्य सीट में इन्हें तवज्जो नहीं मिल पाती जिसके कारण उन्हें हमेशा निराशा ही हाथ लगती है और वह मजबूत दावेदार होते हुए भी दूसरे तीसरे चौथे क्रम में नजर आते हैं वही एक और दावेदार कि हम बात करें तो श्रीमती उमा राजेंद्र राठौर का नाम पिछले कुछ महीने से तेजी से उछला है लेकिन ऐसे नाम के अलावा कुछ नाम ऐसे भी हैं जिन पर मुहर लग सकती है जिसमें भागवत कथा आचार्य राजेंद्र शर्मा, दो बार महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी पूर्व जनपद पंचायत अध्यक्ष सुश्री अन्नपूर्णा राठौर एवं पिछले चुनाव में टिकट प्राप्ति के करीब पहुंच चुके ओमप्रकाश राठौर पर भी भाग्य आजमाया जा सकता है
जीत हासिल करने कांग्रेस के लिए प्लस पॉइंट
सक्ती विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को जीत हासिल करने के लिए जहां संगठन शक्ति के रूप में और मेहनत करने की जरूरत है वही कई ऐसे विकास कार्य और अन्य पहलू है जिसके कारण कांग्रेस कई मामलों में भाजपा से आगे निकलते दिख रही है जिसमें…..
सक्ती का जिले के रूप में अस्तित्व में आना बड़ी उपलब्धि
सक्ती को जिला बनाने की मांग लंबे समय से चल रही थी जिसमें पिछले 15 वर्ष के भाजपा शासन काल में सक्ती को जिला बनने की उम्मीद हर पल दिखाई पड़ती थी लेकिन वह हो नहीं पाया । वही पिछले चुनाव में कांग्रेस ने उसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए हर मंच पर सरकार बनने पर सक्ती को जिला बनाने के वादे किए जाते रहे । वहीं सरकार बनने के पश्चात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा 15 अगस्त 2021 को सक्ती को जिला बनाने की घोषणा एवं 9 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा सक्ती नवीन जिले का शुभारंभ कांग्रेस के लिए सक्ती विधानसभा सहित जैजैपुर एवं चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है जहां इस मुद्दे पर भाजपा बैक फुट में दिखाई पड़ती है वहीं कांग्रेस को इसका फायदा निश्चित तौर पर मिलने की बातें कही जा रही है।
डॉ चरण दास महंत कद्दावर जनप्रतिनिधि
जैसा कि सभी को विदित है कि डॉक्टर चरण दास महंत अगर सक्ती से चुनावी मैदान में होंगे तो वे संभावित भाजपा प्रत्याशियों पर प्रत्येक क्षेत्र में भारी पड़ते दिखाई देंगे । इसका एकमात्र कारण है कि डॉक्टर महंत का पारिवारिक एवं उनके स्वयं का राजनीतिक बैकग्राउंड बहुत ही दमदार है। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर में जीत हासिल अधिक बार की है ।एवं उन्हें हार का सामना कम ही करना पड़ा है । ऐसे में उनके राजनीतिक अनुभव एवं उनकी चमकदार छवि के सामने भाजपा प्रत्याशियों को अभी से कमजोर आंका जा रहा है। हालांकि चुनाव में कुछ भी हो सकता है और कभी-कभी कमजोर प्रत्याशी दमदार प्रत्याशियों पर भारी पड़ जाते हैं । डॉक्टर चरण दास महंत जहां अविभाज्य मध्य प्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं वही सांसद रहते हुए केंद्रीय मंत्री तथा अविभाज्य मध्य प्रदेश में ही गृह मंत्री जैसे भारी भरकम पद में रह चुके हैं । साथ ही छत्तीसगढ़ प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर अभी काबिज है।
मैनेजमेंट में भाजपा से आगे
संगठनात्मक दृष्टिकोण से भाजपा भले ही सशक्त नजर आती है लेकिन फील्ड में चुनाव के समय अगर कांग्रेस का मैनेजमेंट देखा जाए तो वे भाजपा से आगे दिखाई पड़ते हैं बैनर पोस्टर रैली कार्यक्रमों में भव्यता भाजपा की बजाय कांग्रेस में ज्यादा दिखाई पड़ती है सक्ती विधानसभा में अक्सर देखा गया है कि भाजपा कांग्रेस से बागी प्रत्याशियों के वोट बैंक के कारण कई बार जीत के मुहाने तक पहुंचने में कामयाब रही है।
करोड़ों का सौगात एवं बड़े प्रोजेक्ट से लाभ
सक्ती का जिले के रूप में अस्तित्व में आने के बाद सक्ती को करोड़ों की सौगात मिलने एवं बड़े प्रोजेक्ट जैसे जिला चिकित्सालय के लिए करोड़ों रुपए की स्वीकृति, शासकीय बी.एड. कॉलेज की स्वीकृति, शासकीय कन्या महाविद्यालय का शुभारंभ, साप्ताहिक बाजार स्थल पर बड़े शहरों के तर्ज पर बेहतरीन सड़क बनाने की प्रक्रिया , जल आवर्धन योजना, ओवर ब्रिज का तीव्र गति से निर्माण, गृह निर्माण मंडल का संभागीय कार्यालय, मशनिया कला से डोंगीया पहुंच मार्ग का डामरीकरण , स्टेडियम के आधुनिकीकरण के लिए करोड़ों की राशि स्वीकृत ऐसे अनेकों कार्यों के साथ-साथ कांग्रेस की सरकार किसानों का विश्वास जीतने में जहां कामयाब रही है वहीं वर्तमान समय में कांग्रेस के पक्ष में माहौल देखा जा रहा है।
इन मुद्दों पर हो सकता है कांग्रेस को नुकसान
जहां एक ओर कांग्रेस को कई मुद्दों पर लाभ मिलने की बातें कही जा रही है वही कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर कांग्रेस को नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है जिसमें सबसे प्रमुख मुद्दा नगरीय क्षेत्र में अव्यवस्था का आलम एवं निकासी की समस्या से जूझ रहे शहर वासी एक बड़ा मुद्दा हो सकता है दूसरी ओर ग्राम पंचायत को विकास के लिए जूझना पड़ा एवं कई विकास कार्यों में ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाने के बजाय कार्य किसी और से कराया गया । वही कुछ मुद्दों पर जनता की नाराजगी दिखाई दी एवं डॉ चरण दास महंत से सीधे मुलाकात नहीं होने की बातें भी अक्सर होते रहती है। वहीं कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान बड़े आयोजनों का सक्ती में नहीं होना तथा उसे जिला कार्यालय मैदान जेठा में करने से जनमानस में भारी नाराजगी अक्सर देखी गई है।
भाजपा के फायदे नुकसान एक नजर में….
भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव की तैयारी में वैसे तो जी जान से लग चुकी है। लेकिन जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के द्वारा आयोजन किये जा रहे हैं। उसकी चमक आम जनमानस तक नहीं बिखर रही है, ज्ञात हो कि सक्ती अखरा भांठा में भाजपा का जिला कार्यालय बनाया गया है उसे लेकर अब सवाल उठने लगा है राजनीति के जानकारों की माने तो भाजपा के कद्दावर जनप्रतिनिधि का आगमन और बड़ा आयोजन भी गुपचुप तरीके से होने वाला आयोजन जैसा लगने लगा है । ऐसे कार्यक्रम शहर के बीच में होते तो उसका फायदा अलग होता । जैसे की एक दो कार्यक्रम में भाजपा को शहर के मध्य कार्यक्रम करने से पार्टी के प्रति माहौल बनते भी देखा गया है । वर्तमान जिला कार्यालय में एक से बढ़कर एक भाजपा के कद्दावर प्रतिनिधि आकर भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने तथा उनमें जोश भरने का काम कर रहें है। लेकिन ऐसे बड़े चेहरों के सक्ती आगमन को आम जनमानस के बीच राजनीतिक माहौल में गर्माहट लाने में भाजपा सफल नहीं हो पाई है। इसका एकमात्र कारण यह बताया जा रहा है । कि जिला कार्यालय को शहर के ऐसे जगह में बनाया गया है जिसमें आयोजन होने से सक्ती नगर वासी एवं आमजन मानस को इसका पता तक नहीं चलता। वही विधानसभा चुनाव के समय अगर कार्यालय इस स्थल पर रखा गया तो भाजपा का माहौल बन पाना मुश्किल भरा कार्य होगा। भाजपा की कमजोर कड़ी की अगर बात करें तो यहां भाजपा जिला के कर्ता-धर्ता से कई मोर्चा प्रकोष्ठ के पदाधिकारी एवं सदस्यों में तालमेल नहीं बन पा रहा है । कई बार जिला अध्यक्ष से नाराजगी जैसे मामले भी सामने आए हैं । जिससे विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हो सकता है। वही भाजपा केंद्र की योजनाओं के प्रचार प्रसार को प्रभावी ढंग से करने में अभी तक नाकाम रही है। इसके साथ-साथ सत्ता विरोधी लहर बनाने में भी भाजपा नाकाम दिखाई दे रही है। सक्ती को 15 वर्ष के शासनकाल में जिला नहीं बनाना भाजपा के लिए सबसे बड़ा नुकसानदायक मुद्दा बन गया है। यहां कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और चाटुकारों को महत्व जैसे बातें अक्सर होते रहती है। सक्ती विधानसभा क्षेत्र में दमदार प्रत्याशी का अभाव एवं कांग्रेस को घेरने में नाकाम दिखती भाजपा के लिए अगर कुछ उम्मीद की किरण की अगर हम बात करें तो कांग्रेस में बागियों की बढ़ती लाइन भाजपा को फायदा पहुंचा सकती है। वहीं चुनाव के समय केंद्र में चमकदार नेतृत्व का लाभ भी भाजपा उठा सकती है। वहीं केंद्र की अनेक ऐसी योजनाएं संचालित है। जिनका व्यापक प्रचार प्रसार कर कांग्रेस से आगे निकलने में भाजपा कामयाब हो सकती है । संगठन क्षमता भाजपा की कांग्रेस से मजबूत है। यह उनकी सफलता के लिए सबसे अहम हैं। जिसे और मजबूत करने की जरूरत है। भाजपा में सबसे बड़ी कमजोरी की अगर बात करें तो यहां विधानसभा प्रत्याशी के जो दावेदार है उन्हें टिकट नहीं मिलने पर वह किस तरह से एकजुट रहेंगे इस पर भाजपा को बेहतर कार्य करना होगा।