जनजातीय समाज का हित मेरे लिए व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं का विषय : प्रधानमंत्री

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The interest of tribal society is a matter of personal relationships and feelings for me: PM

नयी दिल्ली, (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को आदि महोत्सव का उद्घाटन किया और कहा कि जनजातीय समाज का हित उनके लिए व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं का विषय है।.

राजधानी दिल्ली स्थित मेजर ध्यान चंद राष्ट्रीय स्टेडियम में 16 से 27 फरवरी तक आयोजित ‘‘आदि महोत्सव’’ को विविधता में एकता के भारतीय सामर्थ्य को एक नयी ऊंचाई देने वाला बताया और कहा कि ये विकास और विरासत के विचार को और अधिक जीवंत बना रहा है।

उन्होंने कहा कि द्रौपदी मुर्मू के रूप में पहली बार एक जनजातीय समाज की महिला ने देश के शीर्ष संवैधानिक पद को संभाला है। उन्होंने कहा कि समुदाय के लिए बजटीय आवंटन 2014 के बाद से कई गुना बढ़ाया गया है।

उन्होंने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के लोगों का आह्वान किया कि वे महोत्सव का दौरा करें और देश भर के विभिन्न क्षेत्रों की समृद्ध जनजातीय संस्कृति का अनुभव लें और पौष्टिक खाद्य उत्पादों का स्वाद चखें।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आइए सुनिश्चित करें कि वे अपने सभी उत्पादों को बेच सकें।’’

उन्होंने कहा कि सरकार अब दिल्ली से उन लोगों के पास जा रही है जिन्हें दूर सुदूर माना जाता था और उन्हें मुख्यधारा में ला रही है।

उन्होंने कहा कि जनजातियों ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन दशकों से इन स्वर्णिम अध्यायों और समुदाय के पुरुषों और महिलाओं द्वारा किए गए बलिदानों को नजरअंदाज करने के प्रयास किए गए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘अब अमृत काल में देश ने अतीत के उन भूले-बिसरे अध्यायों को देश के सामने लाने का बीड़ा उठाया है।’’

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने आदिवासी उत्पादों की मांग को बढ़ावा देने के लिए काम किया है। उन्होंने बताया कि जनजातीय समुदाय के 1.25 करोड़ से अधिक सदस्य, विशेष रूप से महिलाएं, देश भर में 80 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों का हिस्सा हैं।

‘आदि महोत्सव’’ को प्रधानमंत्री ने विविधता में एकता के भारतीय सामर्थ्य को एक नयी ऊंचाई देने वाला बताया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह महोत्सव विकास और विरासत के विचार को और अधिक जीवंत बना रहा है। जो पहले खुद को दूर-सुदूर समझता था अब सरकार उसके द्वार जा रही है, उसको मुख्यधारा में ला रही है।’’

मोदी ने जनजातीय समुदाय से अपने लंबे जुड़ाव और काम को याद किया और बताया कि कैसे उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक से लेकर भाजपा के एक कार्यकर्ता के रूप में पहले गुजरात और फिर केंद्र में सरकार का नेतृत्व करने के दौरान समुदाय के बीच काम किया।

उन्होंने कहा, ‘‘आदिवासी समाज का हित मेरे लिए व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं का विषय है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार वंचितों को वरीयता दे रही है और यही वजह है कि देश विकास के नए आयाम छू रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘आदिवासी समाज को लेकर आज देश जिस गौरव के साथ आगे बढ़ रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ है। आज भारत दुनिया के बड़े-बड़े मंचों पर जाता है तो आदिवासी परंपरा को अपनी विरासत और गौरव के रूप में प्रस्तुत करता है।’’

मोदी ने कहा कि उन्होंने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि विदेशी नेताओं को दिए जाने वाले उपहारों में आदिवासियों द्वारा निर्मित उत्पाद शामिल हों।

प्रधानमंत्री ने जनजातीय समुदाय की पारंपरिक जीवन शैली को रेखांकित करते हुए कहा कि यह जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों का समाधान प्रदान करती है।

उन्होंने कहा कि आज देश में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की संख्या में पांच गुना की वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘साल 2004 से 2014 के बीच 10 वर्षों में केवल 90 एकलव्य आवासीय स्कूल खुले थे लेकिन 2014 से 2022 तक इन आठ वर्षों में 500 से ज्यादा एकलव्य स्कूल स्वीकृत हुये हैं और वर्तमान में इनमें 400 से ज्यादा स्कूलों में पढ़ाई शुरू भी हो चुकी है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल के बजट में ऐसे स्कूलों में करीब-करीब 40 हजार से भी ज्यादा शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती की भी घोषणा की गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘अनुसूचित जनजाति के युवाओं को मिलने वाली स्कॉलरशिप में भी दो गुने से ज्यादा की बढ़ोतरी की गई है। इसका लाभ 30 लाख विद्यार्थियों को मिल रहा है।’’

प्रधानमंत्री ने देश की आजादी की लड़ाई में जनजातीय समाज के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि पहली बार देश ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्मजयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने की शुरुआत की है।

उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार अलग-अलग राज्यों में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय खोले जा रहे हैं। ये देश में पहली बार हो रहा है, लेकिन इसकी छाप आने वाली कई पीढ़ियों में दिखाई देगी। ये प्रेरणा देश को कई सदियों तक दिशा देगी।’’

साल 2023 को मोटे अनाज का वर्ष के रूप में मनाए जाने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जनजातीय समाज के खानपान का प्रमुख हिस्सा रहा है।

उन्होंने जनजातीय क्षेत्र के मोटे अनाजों के प्रचार-प्रचार का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘इससे लोगों को स्वास्थ्य का लाभ तो होगा ही, जनजातीय किसानों की आय भी बढ़ेगी।’’

आदि महोत्सव जनजातीय संस्कृति, शिल्प, खान-पान, वाणिज्य और पारंपरिक कला का उत्सव मनाने वाला कार्यक्रम है। यह जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ लिमिटेड (ट्राइफेड) की वार्षिक पहल है।

कार्यक्रम में देशभर के जनजातीय समुदायों की समृद्ध और विविधतापूर्ण धरोहर को प्रदर्शित किया गया है। इसके लिये आयोजन-स्थल पर 200 से अधिक स्टॉल लगाये गए है।

कार्यक्रम का उद्घाटन करने से पहले प्रधानमंत्री कई स्टॉल पर गए और उनके उत्पादों को भी देखा । महोत्सव में लगभ एक हजार जनजातीय शिल्पकार हिस्सा ले रहे हैं।

भाषा ब्रजेन्द्र प्रशांत

प्रशांत

(यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए  हिन्द मित्र जिम्मेदार नहीं है. )

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