शोध पद्धत्ति और शोध नैतिकता पर मैट्स में फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम सम्पन्न

मनोविज्ञान और अंग्रेजी विभाग का संयुक्त आयोजन

रायपुर। कुलदीप शुक्ला

मैट्स यूनिवर्सिटी के कला एवं मानविकी अध्ययनशाला के अंतर्गत संचालित मनोविज्ञान विभाग एवं अंग्रेजी विभाग द्वारा शोध पद्धत्ति एवं शोध नैतिकता पर संयुक्त रूप से सात दिवसीय फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (संकाय विकास कार्यक्रम) का आयोजन किया गया। इस प्रोग्राम का उद्देश्य संकाय सदस्यों की शोध क्षमता का विकास करना था।

फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत विभिन्न विषय विशेषज्ञों द्वारा संकाय सदस्यों को अच्छा शोध पत्र लिखना, रिसर्च प्रोजेक्ट का निर्माण, शोध पत्रों की संगोष्ठियों में प्रस्तुति, प्लेगरिज्म आदि का प्रशिक्षण दिया गया। अनुसंधान पद्धत्ति और अनुसंधान नैतिकता पर भी सत्र का आयोजन किया गया। फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ 25 जुलाई को किया गया। इस अवसर पर मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति गजराज पगरिया, महानिदेशक श्री प्रियेश पगरिया, कुलपति प्रो. के. पी. यादव, उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांड, कुलसचिव गोकुलानंद पांडा, अंग्रेजी विभाग के प्रमुख  सौरभ शुक्ला और मनोविज्ञान विभाग प्रमुख डॉ. शाइस्ता अंसारी सहित यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, राज्य के विभिन्न कालेजों के लगभग 200 संकाय सदस्य व शोधार्थी उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी विभाग की सहायक प्राध्यापक सुश्री दर्शिका चौधरी ने किया। अन्य संकाय सदस्यों में डॉ. रंजना दास सरखेल, डॉ अंशु श्रीवास्तव, डॉ. महेंद्र कुमार, डॉ. यंजना और श्रीमती चित्रा पांडे उपस्थित थीं।

फेकल्टी डेलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत प्रथम सत्र में डॉ. दिव्या शर्मा द्वारा अनुसंधान की मूल बातों पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने अनुप्रयुक्त अनुसंधान के सिद्धांतों, शोध विषय का चयन, शोध के प्रकार, कार्यप्रणाली और शोध के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर डॉ. प्रोमिला सिंह ने अनुसंधान नैतिकता और अनुसंधान पर इसके परिणामों पर चर्चा की। डॉ राजीव चौधरी ने शोध लेखन की मूल बातों सहित प्रभावी लेखन से संबंधित पहलुओं को शामिल करने और शोध पत्र लेखन के गुर बताए। डॉ. सुपर्णा सेन गुप्ता ने शोध में साहित्यिक चोरी और शोध की नैतिकता पर चर्चा की। डॉ. ज्ञानेश श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों को अनुसंधान में कंप्यूटर अनुप्रयोगों से परिचित कराया। कार्यक्रम के अंतिम दिन डॉ. मधु कामरा ने विभिन्न लेखन शैलियों की बारीकियों से अवगत कराया। कार्यक्रम के समपान अवसर पर डॉ. रंजना दास सरखेल द्वारा आभार व्यक्त किया गया। यह जानकारी मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ शाईस्ता अंसारी ने दी।

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