अक्षय अर्थात कभी क्षय न होना…इस दिन किया गया सत्कर्म,धर्म -कर्म, कई गुना फल देता है अनवरत चलते रहता है

अध्यात्म,
परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरूजी) अक्षय तृतीया के महत्व में यह बताए कि इस दिन किया गया सत्कर्म,धर्म -कर्म ,दान -पुण्य कई गुना फल देता है अनवरत चलते रहता है । अक्षय अर्थात कभी क्षय ना होना,  यह एक युगांतर तिथि है आज के दिन किया गया धर्म- कर्म ,दान -पुण्य, सत्कर्म का कभी क्षय नहीं होता और बढ़ते ही जाता है,अनवरत चलते ही रहता है।
भगवान परशुराम जी ऐसे युग में अवतार लेते हैं और उनके धर्म ,कर्म,शिष्टाचार समर्पण की भावना का कभी क्षय नहीं होता यह आज भी अनवरत फल दे रही है। उन्होंने गलत का विरोध किया ,एवम कुप्रवृत्तियों का सदुपयोग करना बताएं, क्रोध का सदुपयोग करना बताएं। राजा जनक की सभा में जब सभी  भगवान राम से युद्ध करने के लिए तैयार थे उसी समय परशुराम जी का आगमन होता है और उनकी क्रोध को देखकर सभी लोग सभा छोड़ कर चुपचाप चले जाते हैं, जब सब लोग भगवान राम को साधारण मनुष्य समझ रहे थे वही परशुराम जी ने बताए कि वह स्वयं नारायण है , और भगवान राम को सत्ता सौंपकर  समाधि में लीन हो गए ,जो आज भी अनवरत फल दे रही है ।  इन्हीं के कार्य को भगवान राम ने आगे बढ़ाएं तरीका अलग था,कार्य वही था । सनातन संस्कृति के पीछे समर्पित होकर कार्य करने से उसका कभी क्षय नहीं होता अक्षय हो जाता है।
– श्रीमती कल्पना शुक्ला