दिव्यांग अंजू मनरेगा योजना में बनी मेट, मिला सहारा, बनी दूसरों के लिए प्रेरणा

 कटनी
जहां गांव में रहकर ही लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में मनरेगा योजना वरदान बनी हुई है तो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने कार्य भी योजना के तहत सरकार कर रही है। महिलाओं को मेट के रूप में प्रशिक्षित करके काम पर लगाया गया है और वे महिलाएं अब दूसरों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं। ऐसी ही एक महिला रीठी जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत बरयारपुर की है, जिसने दिव्यांग होने के बाद भी आत्मनिर्भर बनने की ठानी और अब मेट के रूप में काम करते हुए दूसरी महिलाओं की योजना में सहभागिता बढ़ाने का कार्य भी कर रही हैं।
बरयारपुर निवासी दिव्यांग अंजू श्रीवास ने बताया कि सितंबर 2021 में सीईओ जनपद पंचायत रीठी ज्ञानेन्द्र मिश्रा मनरेगा के अंतर्गत गांव में चल रहे नाला सुधार व अन्य कार्यों का निरीक्षण करने आए थे। निरीक्षण के दौरान ही सीईओ मिश्रा ने अंजू को मनरेगा योजना में मेट के रूप में काम करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही अंजू को मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम की जानकारी दी और मनरेगा अधिकारी डॉ. अजीत सिंह को पंजीयन कराने के निर्देश प्रदान किए। जिसके बाद अंजू का चयन मेट के रूप मंे किया गया। प्रशिक्षण के बाद अंजू ने मेट का दायित्व संभाला और उसके बाद महिलाओं को मनरेगा योजना में कार्य करने के लिए सहभागिता बढ़ाने, अधिक से अधिक मनरेगा श्रमिकों को कार्य उपलब्ध कराने, मोबाइल के माध्यम से श्रमिका की उपस्थिति दर्ज करने का उल्लेखनीय कार्य किया।
अंजू कुशल श्रमिक, अब पति भी चला रहे सैलून
अंजू ने बताया कि मेट में चयन होने के बाद वह कुशल श्रमिक के रूप में काम कर रही हैं। उनके पति पहले सक्रिय श्रमिक के रूप में मनरेगा में काम करते थे लेकिन मेट में चयन के बाद जहां अंजू कुशल श्रमिक का कार्य कर रही है तो उनके पति ने गांव में ही सैलून की दुकान संचालित कर रहे हैं और प्राप्त होने वाली आय से अपनी वयोवृद्ध सास दशोदा बाई सहित अपना भरण पोषण अच्छे तरीके से कर पा रही हैं। अंजू ने सीईओ जनपद सहित मनरेगा अधिकारी, सेक्टर उपयंत्री आरबी सिंह, सरपंच ग्राम पंचायत सहित शासन का आत्मनिर्भर बनाने में योगदान देने पर आभार व्यक्त किया।