- जिन बच्चों के माता-पिता कोरोना से असमय जीवन गवां बैठे हैं वे हमारी जिम्मेदारी-मुख्यमंत्री श्री चौहान
- बच्चों की पढ़ाई, नि:शुल्क राशन और आर्थिक सहायता की राज्य सरकार ने की है व्यवस्था
- मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों के साथ किया भोजन और मुख्यमंत्री निवास का कराया भ्रमण
- मुख्यमंत्री निवास में बच्चों ने मनाया दीप पर्व पर बच्चों को प्रदान किए गिफ्ट पैक
अमूल्य पूँजी होते हैं माता-पिता
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों से कहा कि मैं आप सबका कष्ट जानता हूँ। माता-पिता अमूल्य पूँजी होते हैं। उनके न होने का एहसास तो होगा पर दुखी नहीं होना है। अच्छी तरह पढ़ाई और जीवन में कुछ अच्छा कार्य करके उनका नाम रौशन करना है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों को बताया कि दुनिया के अनेक बड़े लोगों ने बचपन में ही माता-पिता को खो दिया था, लेकिन उन्होंने जीवन में विशिष्ट स्थान प्राप्त किया। ऐसे लोगों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय भी शामिल हैं। कष्ट प्रद स्थिति में रहते हुए उन्होंने गंभीरता से अध्ययन किया और एक सफल इंसान बने। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बिती बातें भूलकर जीवन में आगे बढ़ना होता है। आप सब लोग भी आगे बढ़ें। आप लोगों को कोई कठिनाई नहीं आने दी जाएगी। आपके अध्ययन की समुचित व्यवस्था की गई है। आगे भी जीवन का मार्ग तय करने में सरकार आपके साथ रहेगी।
मुख्यमंत्री ने बच्चों से किया आत्मीय संवाद
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अनेक बच्चों से आत्मीय संवाद किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आपके हौंसले की मैं दाद देता हूँ। आप आगे बढ़ें, हर कदम पर हम आपके साथ हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आपके लिये संरक्षण निधि के रूप में प्रतिमाह 5 हजार रूपए की व्यवस्था की गई। आपकी पढ़ाई में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों से कहा आपको आगे बढ़ना है। लक्ष्य तय करें, क्या बनना है मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों से आत्मीयतापूर्वक बातचीत की। उन्हें स्नेह के साथ आशीर्वाद दिया। मुख्यमंत्री ने बच्चों से कहा चिंतित न हों मामा आपके साथ हैं। आपकी देखरेख में कोई कमी नहीं रहेगी। इस अवसर पर श्रीमती साधना सिंह भी उपस्थित रहीं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मुख्यमंत्री निवास में आमंत्रित बच्चों के पास जाकर उनका हालचाल पूँछा। उन्हें हौसले के साथ अध्ययन में जुटे रहने का आह्वान किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पुलिस में 30 प्रतिशत स्थान बेटियों के लिए हैं। आपका परिश्रम आपको हर क्षेत्र में सफलता दिलवाएगा। अधिकाँश बच्चों ने सेना, पुलिस और चिकित्सा के क्षेत्र में सेवाएँ देने की इच्छा जताई। इन बच्चों में निकिता, आशीष यादव, आयुष और माही शामिल हैं।
बच्चों को सुनाईं तीन प्रेरक कहानियाँ
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कोरोना में माँ-बाप को खोने वाले बच्चों को तीन प्रेरक कहानियाँ भी सुनाई। इनमें गुरू द्रोणाचार्य से शिक्षा प्राप्त करते हुए शिष्य अर्जुन की कही गई बात, महात्मा गांधी से माँ और बच्चे की बातचीत और युधिष्ठिर द्वारा गुरू से प्राप्त शिक्षा पर अमल की कथाएँ शामिल हैं।
कहानी एक – मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों को बताया कि कौरव-पाण्डव गुरू द्रोणाचार्य के पास तीरंदाजी की शिक्षा ले रहे थे। गुरू का इम्तिहान लेने का तरीका भी अपने ढंग का था। उन्होंने एक पेड़ पर बैठी चिड़िया दिखाते हुए विद्यार्थियों से कहा कि आपको इस चिड़िया की आँख पर निशाना साधकर लक्ष्य भेदना है। इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों से एक-एक करके यह पूछाँ कि आपको सामने क्या दिखाई दे रहा है। दुर्योधन, दुशासन, नकुल, सहदेव और अन्य शिष्यों ने कहा कि उन्हें पेड़ दिखाई दे रहा, पत्ते दिखाई दे रहे, फूल दिखाई दे रहे है। लेकिन अर्जुन से जब पूछाँ गया कि आपको क्या दिखाई दे रहा है, तो अर्जुन का उत्तर था मुझे चिड़िया की आँख दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इस कहानी का सार है कि हमें सिर्फ लक्ष्य पर ध्यान रखना है।
कहानी दो – मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों को बताया कि एक बार गांधी जी के पास एक माता अपने बच्चे को लेकर पहुँची थी। माता का कहना था कि यह बच्चा बहुत ज्यादा गुड़ खाता है, कृपया आप इसे समझाइश दें कि इतना गुड़ न खाया करे। गांधी जी ने पहले दिन कोई समझाइश नहीं दी। यह क्रम तीन-चार दिन चला। इसके बाद माता के आग्रह पर गांधी जी ने बच्चे को समझाया कि ज्यादा गुड़ खाना उचित नहीं है। बच्चे की माता जी ने गांधी जी से पूछा कि आप यह बात तो पहले दिन भी समझा सकते थे, फिर आपने चार दिन बाद ही यह बात क्यों समझाई ? गांधी जी का उत्तर था कि पहले दिन में बच्चे को यह कहने का अधिकार नहीं रखता था कि गुड़ मत खाओ। इसकी वजह थी कि मैं खुद भी प्रतिदिन गुड़ खाता हूँ। अब यदि बच्चे को यह बात समझाता हूँ तो पहले उस पर खुद अमल करुँ तभी किसी को कह सकूँगा कि प्रतिदिन गुड़ मत खाया करो। कहानी का सार यह है कि किसी को कोई बात कहें तो पहले स्वयं उस पर अमल करना सीखें।
कहानी तीन- मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों को तीसरी कहानी सुनाते हुए बताया कि एक बार युधिष्ठिर “सदा सच बोलो” शीर्षक का पाठ याद नहीं कर पाए थे। युधिष्ठिर से उनके गुरू ने पूछा कि यह पाठ कल याद करके आना। कई दिन बीत गए युधिष्ठिर पाठ याद नहीं कर सके। इसके बाद गुरूजी नाराज हो गए और युधिष्ठिर से पूछा कि आप यह पाठ याद क्यों नहीं कर पा रहे ? युधिष्ठिर ने उत्तर दिया कि प्रतिदिन कुछ कहता था तो कोई न कोई असत्य उस बात में आ जाता था। जब आपने “सदा सच बोलो” नामक पाठ याद करने को कहा तो इसका अर्थ था कि ऐसा करके भी दिखाना है। यदि मैं सत्य नहीं कह पा रहा तो फिर कैसे मान लिया जाए कि मुझे पाठ याद है। इस कहानी का सार यह है कि जीवन में जो भी शिक्षा ग्रहण करें उस पर अमल भी करें।
बच्चों ने जलाए दीप
मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री कोविड बाल सेवा योजना के हितग्राही बच्चों ने मुख्यमंत्री श्री चौहान और श्रीमती साधना सिंह के साथ दीपक एवं मोमबत्तियाँ जलाकर दीपों का त्यौहार मनाया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सभी बच्चों का पुष्पों से स्वागत किया। मुख्यमंत्री द्वारा किए गए स्वागत से बच्चे बहुत खुश थे। कोरोना के कारण अपने परिवार में आई विपत्ति को भूलकर वे मुख्यमंत्री के साथ उनके परिवार के सदस्य की तरह दीप पर्व में शामिल हुए।
बच्चों को व्यंजन परोसे, अपने हाथ से खिलाया भी और बच्चों के हाथों से खाया भी
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मुख्यमंत्री निवास में आए बच्चों के साथ न सिर्फ खूब बातें कीं, बल्कि उन्हें तरह-तरह के व्यंजन अपने हाथ से परोसे। मुख्यमंत्री श्री चौहान और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह ने बच्चों को अपने हाथ से खाना खिलाया। भाव-विभोर होकर बहुत से बच्चों ने भी मुख्यमंत्री श्री चौहान और श्रीमती साधना सिंह को अपने हाथ से चाऊमीन, पनीर की सब्जी, पुड़ी और पावभाजी खिलाई। इन बच्चों में रूही, माही, यशी, और शिवांश आदि शामिल हैं। एक बच्ची सोनम ठाकुर विदिशा ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को एक चिट्ठी दी, जिसमें मुख्यमंत्री निवास में आमंत्रित करने, साथ में दीवाली मनाने और भोजन करने से अभिभूत होकर आभार व्यक्त किया गया था। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सोनम को कहा कि उसके जीवन में कोई समस्या आने नहीं दी जाएगी। कार्यक्रम में इटारसी से आई नौशीन खान और होशंगाबाद से आई अपराजिता तिवारी ने “तू कितनी अच्छी है माँ” गीत की प्रस्तुति दी। इस गीत से नौशीन खान सहित कई लोग भावुक हो गए। उल्लेखनीय है कि कक्षा दसवीं में अध्ययनरत नौशीन खान ने कोरोना में अपनी माँ को खोया है। उनके पिता का निधन नौशीन के बचपन में ही हो गया था।
मुख्यमंत्री निवास में गौ-शाला, मुख्यमंत्री का घर, ऑफिस चेम्बर, लॉन, कार्यालय के कक्ष देखने के लिए बच्चों में काफी उत्साह था। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने स्वयं बच्चों को निवास परिसर का भ्रमण कराया और कार्यप्रणाली की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान से ईशा, रूही, माही और त्रिशाला ने खूब की बातचीत
मुख्यमंत्री श्री चौहान बच्चों के साथ पैदल निवास की ओर रवाना हुए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों से पूछा कि पैदल चल लोगे, थकोगे तो नहीं। इस पर मुख्यमंत्री श्री चौहान का हाथ पकड़कर चल रही 6 वर्षीय त्रिशाला सोनी ने कहा कि ये मामा तो धीरे-धीरे चलते हैं। मुख्यमंत्री निवास की पैदल यात्रा में त्रिशाला के साथ रायसेन की ईशा और भोपाल की जुड़वा बहनें माही और रूही लगातार मुख्यमंत्री श्री चौहान से बातचीत करती रहीं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों की प्रत्येक जिज्ञासा का स्नेह के साथ समाधान किया।
श्रीमती साधना सिंह ने बच्चों को दी किचन गार्डन और गौ-शाला की जानकारी
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निवास के उद्यान में उनके द्वारा किए गए पौध-रोपण के महत्व के बारे में बच्चों को बताया और उन्हें वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया। मुख्यमंत्री निवास पर हुई पंचायतों तथा अन्य कार्यक्रमों की जानकारी दी। श्रीमती साधना सिंह ने किचन गार्डन में लगी सब्जियों की जानकारी दी। साथ ही गौ-शाला का भ्रमण कराते हुए बताया कि यहाँ की एक गाय धनवंतरी ने दो दिन पहले ही एक बछिया को जन्म दिया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने गौ-शाला के निकट वाटिका में लगे औषधीय वृक्षों और पौधों की जानकारी बच्चों को दी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों को दिखाया अपना ऑफिस और कॉन्फ्रेंस रूम
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों को निवास स्थित मंदिर के दर्शन कराए। श्रीमती साधना सिंह ने बच्चों को माडंना और रंगोली की जानकारी दी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सभा कक्ष में बच्चों को बताया कि यहाँ महापुरूषों की जन्म-तिथि व पुण्य-तिथि पर महापुरूषों के चित्रों पर माल्यार्पण किया जाता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि महापुरूषों का स्मरण और उनके बारे में जानना हम सबके लिए प्रेरणादायी हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों को वीडियो कान्फ्रेंस रूम तथा कार्यालय भी दिखाया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जब बच्चों से पूछा कि बताओ मैं कितने घंटे काम करता हूँ तो एक बच्चे ने एकदम से कहा कि 24 घंटे। इस पर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मैं प्रतिदिन 18 घंटे काम करता हूँ। श्रीमती साधना सिंह ने कहा कि मेहनत से ही उपलब्धियाँ प्राप्त होती हैं।
आज दीपावली के अवसर पर मुख्यमंत्री #COVID19 बाल सेवा योजना के बच्चे मुझसे मिलने आये और अपने विचार, सपने व चुनौतियों के विषय में खुलकर मुझसे बात की।
ये मेरे बच्चे हैं, प्रदेश के बच्चे हैं, इनके सभी सपने पूरे होंगे। #AaoFirSeDiyaJalayen pic.twitter.com/KRdNCNFQo7
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 4, 2021
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किया था कक्षा सातवीं में पहला आंदोलन
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों को बताया कि जब वे पाँचवीं कक्षा में थे, तब से ही गाँव में सक्रिय रूप से कार्य करना आरंभ कर दिया था। कक्षा सातवीं में उन्होंने पहला आंदोलन किया। यह आंदोलन गाँव के मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने के लिए था। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अनाज के रूप में मजदूरी देने की व्यवस्था को समझाते हुए बच्चों को बताया कि मजदूरों को ढाई पाई की जगह पाँच पाई मजदूरी देने की मांग को लेकर उन्होंने पहला आंदोलन किया।
“यू आर माय फ्रेंड”
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने स्वयं के बारे में जानकारी देते हुए बच्चों को बताया कि बचपन में ही उनकी माता का स्वर्गवास हो गया था। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों को निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। एक बच्चे ने “यू आर माय फ्रेंड” बोलकर मुख्यमंत्री श्री चौहान का अभिवादन किया। भोपाल में बी.ए. प्रथम वर्ष में अध्ययनरत इशिका मालवीय ने कहा कि “सर हमें आपसे बहुत प्रेरणा मिलती है।“
बच्चों ने अपनी पसंद के कलर के लिए गिफ्ट पैक
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निवास स्थित उद्यान में सभी बच्चों को दीवाली की भेंट प्रदान की। प्रत्येक बच्चे को भेंट किए गए पैकेट में एक पुस्तक, चॉकलेट, मिठाईयाँ, बेग और फूलझड़ियाँ शामिल थी। मुख्यमंत्री श्री चौहान को मामा-मामा कहकर बच्चों ने अपनी पसंद के कलर के गिफ्ट पैक लिए।
अशोक मनवानी/संदीप कपूर