दिन में सोने वाले बच्‍चों के पेरेंट्स होते हैं खुशनसीब, लेकिन इस उम्र से दोपहर में झपकी लेना कर देते हैं बंद

बच्‍चे दिनभर खेलकूद करते हैं और जब उन्‍हें थकान महसूस होती है, तो वो थक कर सो जाते हैं। बच्‍चों के लिए सोने का कोई समय नहीं होता। उन्‍हें तो जब मन किया, सो जाते हैं। वहीं बच्‍चे के सोने पर मांएं घर के कई काम निपटा लेती हैं।

हालांकि, धीरे-धीरे बच्‍चा दिन में सोना कम कर देता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि बच्‍चे का स्‍लीपिंग पैटर्न कब बदलता है।

​कब झपकी लेना बंद कर देते हैं

पेरेंट्स अक्‍सर ये मानते हैं कि बच्‍चे दिन में झपकी लिए बिना रात को अच्‍छी नींद ले सकते हैं लेकिन ये पूरा सच नहीं है। झपकी लिए बिना थकान से बच्‍चे चिड़चिड़े हो जाते हैं और उनका मूड भी खराब हो जाता है। कई बार वो रात को सोने से पहले ओवरएक्टिव भी हो जाते हैं।

बच्‍चों का दिन में सोने का पैटर्न अलग-अलग हो सकता है। कुछ बच्‍चे इस आदत के जल्‍दी छोड़ देते हैं, तो वहीं कुछ बच्‍चे दिन में भी देर तक सोते रहते हैं।
इसमें बच्‍चे की उम्र, स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति, एक्टिविटी लेवल और रात को सोने के समय से पता चलता है कि बच्‍चे को दिन में झपकी लेने की जरूरत है या नहीं।

थकान महसूस होती है

जो बच्‍चे अच्‍छी नींद नहीं ले पाते हैं, उन्‍हें दिनभर थकान महसूस होती रहती है। नींद की कमी की वजह से बच्‍चों को ज्‍यादा भूख लगती है जिससे मोटापा बढ़ जाता है। खासतौर पर छोटे बच्‍चों को मांसपेशियों के विकास के लिए नींद जरूरी होती है। थकान होने पर बच्‍चों में एनर्जी कम होने लगती है।

​उम्र के हिसाब से कितनी देर सोता है बच्‍चा

जन्‍म के बाद से लेकर 6 महीने तक का शिशु दिन में हर दो घंटे के अंदर दो से तीन बार 30 मिनट के लिए सोता है।

6 महीने से लेकर एक साल का शिशु दिन में दो बार झपकी लेता है। कुछ बच्‍चे 20 मिनट के लिए सोते हैं तो कुछ घंटों तक सोते हैं।

1 से 3 साल के बच्‍चों को एक से तीन घंटे सोने की जरूरत होती है। 3 से 5 साल के बच्‍चे एक या दो घंटे के लिए सो सकते हैं।

5 से 12 साल के बच्‍चे रात को नींद आने पर दिन में कुछ देर तक सो सकते हैं।

​क्‍यों जरूरी है दिन में सोना

नैप टाइम (झपकी लेना) बच्‍चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए जरूरी होता है। बच्‍चों को इससे निम्‍न लाभ मिलते हैं।
नैप से बच्‍चों के मानसिक और शारीरिक विकास में मदद मिलती है। इससे बच्‍चे दिन के समय एलर्ट रहते हैं और क्‍लास में ध्‍यान दे पाते हैं। दिन के समय सोने से बच्‍चों की याद्दाश्‍त भी तेज होती है।

मूड होता है बेहतर

नींद का सीधा असर मूड पर पड़ता है और इससे आप खुशी महसूस करते हैं। दिन में न सोने से बच्‍चा चिड़चिड़ा हो सकता है और एक्टिव रहने का मन नहीं करता है। चीन में यूनिवर्सिटी ऑफ पेनिसिल्‍वेनिया के शोधकर्ताओं ने 3000 बच्‍चों पर रिसर्च कर के बताया कि जो बच्‍चे दिन में नैप लेते हैं, वो नैप न लेने वालों की तुलना में ज्‍यादा खुश रहते हैं।

स्‍टडी का कहना है कि दिन में नैप लेने से पढ़ाई में भी बेहतर प्रदर्शन होता है।