उत्तराखंड में अब ‘पुष्कर राज’, दबाव में सीनियर नेताओं की वापसी

नई दिल्ली
उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर सिंह धामी ने शपथ ले ली है. राजभवन में उन्हें राज्यपाल बेबी रानी मौर्या ने शपथ दिलाई. उनके अलावा मंत्री के तौर पर सतपाल महाराज ने भी शपथ ली है. मुख्मंत्री के नाम के ऐलान से पहले सतपाल महाराज का भी नाम चर्चा में था. उनके अलावा डॉक्टर हरक सिंह रावत, बंशीधर भगत ने भी मंत्री के तौर पर शपथ ली है.

अन्य मंत्रियों में दिग्गज विधायक यशपाल आर्य, बिशन सिंह, अरविंद पांडेय, गणेश जोशी और सुबोध उनियाल भी पुष्कर सिंह धामी के मंत्रिमंडल में शामिल रहेंगे, उन्होंने भी मंत्रिपद की शपथ ली है. धनसिंह रावत, रेखा आर्या और यतीश्वरा नंद ने भी मंत्रिपद की शपथ ली है.

तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे बाद जब मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर चर्चा चल रही थी तो मौजूदा मंत्रिमंडल के कई नेताओं का नाम भी आगे चल रहा था. सतपाल महाराज, धनसिंह रावत, हरक सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम भी चर्चा में शामिल था. ऐसे में जब मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हुआ तो राज्य के बीजेपी नेताओं में नाराजगी भी देखी गई.

आलाकमान की बैठक के बाद दिग्गज नेताओं में सामंजस्य बिठाने की कोशिश हुई, जिसके बाद 45 वर्षीय पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अब दावा किया जा रहा है कि आलाकमान की दखल के बाद वरिष्ठ नेता नए मुख्यमंत्री के कार्यकाल में काम करने के लिए राजी हैं.

पार्टी में खींचतान की खबरें बाहर भी आईं, जिसकी वजह से किसी भी बड़े नेता ने मीडिया में कोई बयान भी नहीं दिया. जिन नेताओं के नाराजगी की खबरें सामने आ रही थीं, उन्हीं नेताओं ने मंत्रिपद की शपथ भी ली है. ऐसे में माना जा रहा है कि अब पार्टी में जारी कलह खत्म हो गया है. हालांकि बीजेपी ने नाराजगी की बात को खारिज कर दिया था.

तीरथ सिंह रावत के संवैधानिक कारणों से इस्तीफा देने के बाद जिन नेताओं का नाम चर्चा में था, उनमें सबसे बड़ा नाम सतपाल महाराज का था. मुख्यमंत्री के चेहरे के ऐलान के बाद देहरादून में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के घर पर कई बैठकें हुईं. पुष्कर धामी ने इस बैठक के बाद तत्काल सतपाल महाराज से मुलाकात भी की थी. वहीं पूर्व मुख्यमंत्रियों से भी धामी ने मुलाकात की थी. गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत समर्थक गुट अब भी चाहता है कि मुख्यमंत्री के तौर पर वे वापसी करें, लेकिन पार्टी अलाकमान की उनके नाम पर सहमति नहीं बन पाई.