GURU PURNIMA 2024: गुरु के प्रति अर्पण,समर्पण, प्रेम ,भाव-भक्ति का पर्व गुरुपूर्णिमा…

Guru purnima

रायपुर: GURU PURNIMA 2024: माँ कामाख्या के साधक ,दस महाविद्याओं के उपासक युग दृष्टा सद्गृहस्थ संत श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) के मंगल संनिध्य में गुरु-शिष्य का पवित्र पर्व गुरु पूर्णिमा का महापर्व उत्सव मारुति मंगलम गुढियारी में अत्यंत धूमधाम के साथ मनाया गया ,महर्षि वेदव्यास जी के जन्मदिन के साथ- साथ सभी शिष्यों के लिए यह महापर्व होता है। गुरुजी महर्षि वेदव्यास के जन्मदिन की सभी को बधाई देते हुए यह बताएं कि वेदव्यास जी के जन्मदिन को हम गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं l जो अन्य वेदों को लिखे हैं ऐसे महापुरुष को हम बार-बार नमन करते हैं और उनके अवतार दिवस की शुभकामनायें दिए।

गुरु पूर्णिमा (GURU PURNIMA) के बारे में हम सब अवगत है सभी लोग अपने उद्गार व्यक्त किया बहुत लोगों को अपने जीवन में होने वाली घटना को व्यक्त किए, लेकिन कुछ लोग गुरु को परिभाषित करने में असमर्थ बताएं , गुरु तत्व को समझना, गुरु को गुरु ही क्यों कहा जाता है, कुछ और क्यों नहीं… गुरु तत्व को जानना समझना ऐसा क्या होता है जिसके लिए गुरु कहा जाता है गुरु गीता स्कंद पुराण की ढाल है मां पार्वती जी ने पूछने पर शिवजी उत्तर देते हैं 352 श्लोक में स्कंद पुराण में शिव जी उत्तर देते है l

GURU PURNIMA 2024: जो गुण और रूप से परे हो, तम, रज, सत से ऊपर उठ गया हो वह  गुरु है

अंधकार से प्रकाश की ओर जाना.. गु..पूरा कला रु…अर्थात जो गुण और रूप से परे हो, तम, रज , सत से ऊपर उठ गया हो, इन तीनों गुणों से अलग हो वही हो सकता है, अलग जो इन तीनों गुणों को जाने और अलग हो सकता है गुणातीत कहते हैं। प्रकृति के तीन गुणों से पार है मनुष्य अधिक न्यूट्रल अबोध अमान्य हो जाता है प्रकृति के तीन गुण वैसे ही मान्य होता है मनुष्य अधिक जटिल है l

Guru purnima

रूप के पार निर्गुण ब्रह्म जो आकृतियों में ना आ सके आए भी तो कृपा दृष्टि से, जो सीमाओं से परे हो, माया स्वरूप रूप मनुष्य के जीवन के अंदर माया व्याप्त है,जो गुरु होते हैं आपकी दृष्टि से दूर करते हैं उसे गुरु कहते हैं। जिसका कोई रूप नहीं जो तीनों गुणों से पार है परमात्मा ने प्रकट किया उसे भगवान कहते हैं ब्रह्मा ,विष्णु, महेश। परब्रह्मा उसके ऊपर है परा विद्या है यह तीनों अपरा है वह गुणातीत, रूपातीत परमपिता परमेश्वर जिसे परमात्मा कहते हैं वेदव्यास जी कहते हैं l

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यदि परमात्मा को देखना हो तो अपने गुरु को देखना वह पारब्रह्म है उनकी वाणी को अनदेखा न करते हुए अक्षरश: पालन करना। सरलता का भाव गुरु को ही नहीं परमात्मा को भी विवश कर देते हैं कार्य करने के लिए कौशल्या, देवकी वासुदेव ,राधा रानी जैसे कहती वैसे कृष्ण करते हैं राधा जी कहती है जो कृष्ण पूरा कर देता है वही मेरी इच्छा होती है, गुरु ब्रह्मा ,विष्णु और महेश नहीं क्योंकि यह जन्म देने वाले हैं गुरु पारब्रह्म होता है क्योंकि ये भगवान है प्रकृति में आए हैं l

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कल्याण करने के लिए , परमात्मा जिसका कोई रूप नहीं होता, जिसका कोई रूप नहीं जो तीनों गुणों से पार है ,परमात्मा ने प्रकट किया उसे भगवान कहते हैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश परब्रह्मा उसके ऊपर है परा विद्या है यह तीनों में ऊपर है वह गुणातीत , रूपातीत परमपिता परमेश्वर ब्रह्म जिसे परमात्मा कहते हैं , वह शिष्य सफलतम की सीमा भी पार कर जाता है गुरु के इशारों संकेत भाव इशारा समझ कर चलने लगे समस्या आएगी ही नहीं गुरु समस्या को आगे बढ़कर रोक लेता है l

जिनकी भक्ति कमजोर है उसकी परेशानी होती है क्रोध,मोह, लोग ,ईर्ष्या आडंबर के कारण यह को प्रवृत्ति मनुष्य के अंदर पनाह ले लेते हैं।कृपा वह नहीं जो दुख में आने पर साथ दे वह एहसान है गुरु अहैतुकी कृपा करते हैं जिसका कोई कारण ना हो ,कहने की आवश्यकता ना हो उसे स्तर पर जाने पर गुरु की कृपा होती है शिष्यों को ऐसा होना चाहिए।

जिसके ऊपर कोई संकट ना आए अपने अंदर के कुप्रवृत्ति के कारण कृपा रुक जाती है और उसे सही करना ,संवाद होना चाहिए गुरु को सब कुछ पता होता है स्वयं ही भगवान का कृष्ण कहते हैं कि बताएं उसको जाता है जिसे कुछ ना पता ना हो ,गुरु का मंत्र सहारा लेना चाहिए भगवान शिव की नजर रहती है जो गुरु को शिव, शिव को गुरु रूप में देखें वह सब पापों से मुक्त हो जाता है।

काफी संख्या में लोग अलग-अलग प्रांतों से आकर गुरु दर्शन लाभ उठायें और इस उत्सव में शामिल हुए l गुरु पूर्णिमा (GURU PURNIMA) उत्सव का कार्यक्रम प्रातः 7:00 a.m. से प्रारंभ होकर 1:30 p.m. तक रहा, कार्यक्रम का संचालन तुषार गुप्ता के द्वारा किया गया।l सभी लोग गुरु दर्शन कर भाव विभोर हो चुकें थे एवं सबने  गुरूजी से गुरुपूर्णिमा के शुभ अवसर में आशीर्वाद प्राप्त किया l

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