सज्जन व्यक्ति क्रोध का भी सदुपयोग करते हैं दुरुपयोग नहीं – गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी

गुरुदेव जी
गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी

अध्यात्म by कल्पना | कथा के पांचवें दिन परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) परशुराम संवाद की कथा बताएं, अत्यधिक क्रोधित होते हुए परशुराम जी के पास भगवान राम प्रेम से विनय पूर्वक उसको प्रसन्न कर लेते हैं, परशुराम जी शुभ समय में अशुभ कार्य होने से रोकने के लिए प्रकट होते हैं सिर्फ परशुराम की कमी होती है और जब राजा महाराजा आपस में लड़ते  तो रक्त पात होता  लेकिन जैसे परशुराम प्रकट होते हैं उनका क्रोध को देखकर सब धीरे से भागने लगते हैं और अशुभ घटना होने से बच जाता है। परशुराम जी क्रोध का भी सदुपयोग करते है।

परशुराम जी भगवान के कार्य में सहयोग करते हैं धन्य है परशुराम जी का क्रोध जो ब्रम्ह को प्रकट कर देते हैं भगवान राम को भगवान के रूप में सब देखने लग जाते हैं,परशुराम जी संवाद कर रहे हैं , आपस में संवाद करने से हमेशा परिणाम अच्छा निकलता है विवाद से बुरा निकलता है, इसलिए हमेशा संवाद करके बात को समाप्त करना चाहिए शिक्षा देते हैं। आगे गुरुजी भगवान राम और माता सीता की विवाह की कथा बताए

भगवान राम और सीता के विवाह का अर्थ यही है शांति और भक्ति आनंद और प्रेम का मिलन अर्थात यह तब होता है जब अहंकार टूट जाता है धनुष के रूप में अहंकार को तोड़ दिए और भगवान राम और सीता का मिलन होता है

जब हम अपने जीवन में अपनी बुद्धि व्यवहार में अहंकार को तोड़ देते हैं तब हमारे अंदर शांति भक्ति आनंद रूपी सीताराम का निवास होता है वह अहंकार जो गुरु से परमात्मा से दूर करता है उसे तोड़ देना चाहिए।

आगे कथा हमें यह बताएं कि किस तरह से हम सबकी जिंदगी को मंथरा तबाह करती है और राम राज्य किस प्रकार प्राप्त होता है।

रावण के पुतला जलाने से रावण नहीं मारता अपने अंदर के बुराई रूपी रावण को समाप्त करने की आवश्यकता है

दशरथ जी सोचते है भगवान राम के गद्दी पर बैठने से रामराज्य आ जाएगा और राम भगवान कहते हैं जब रावण गद्दी से उतरेगा तब रामराज्य आ जाएगा बुराई के समाप्त होते ही रामराज्य आ जाएगा।

जब तक जीवन में बुराई समाप्त नहीं होगा तब तक भगवान का आनंद नहीं होगा,अपने अंदर के रावण को मारने की आवश्यकता है हमारे अंदर की राक्षसी प्रवृत्ति मोह, ममता , लोभ , अहंकार,  क्रोध, कामनाएं , वासनाएं , अश्लीलता, आडंबर पाखंड ,राक्षसी प्रवृत्ति इसी कारण शरीर लंका बन गया है रावण को गद्दी से उतरने की आवश्यकता है राम राज्य स्वयं आ जाएगा।

रामराज्य केवल अयोध्या में नहीं देश-विदेश विश्व में आ जाएगा।

सब लोग एक जैसे सज्जन हो जाए सब के अंदर की कुप्रवृत्तियां समाप्त हो जाए राम राज्य आ जाएगा ।