जब बुद्धि का संबंध ज्ञान से और अध्यात्मिक स्वतंत्रता से हो तो उससे शुभ और लाभ ही प्राप्त होते है

अध्यात्म,

परम् पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) ने भगवान गणपति जी की कथा में रिद्धि- सिद्धि का अर्थ यह बताए कि रिद्धि मतलब ज्ञान ,सिद्धि मतलब अध्यात्मिक स्वतंत्रता । जब बुद्धि का संबंध ज्ञान से और अध्यात्मिक स्वतंत्रता से हो तो उसे शुभ और लाभ ही प्राप्त होते हैं ,और जब शुभ और लाभ प्राप्त हो जाते हैं तो तुष्टि और पुष्टि प्राप्त होती है , तुष्टि मतलब संतुष्टि पुष्टि मतलब पोषण करने वाली और जब तुष्टि और पुष्टि प्राप्त हो जाती है तो आमोद प्रमोद प्राप्त होता है अर्थात उल्लास प्रसन्नता और गणेश जी की पुत्री संतोषी होती है जहां पर संतोषी होती है वही जीवन सुखी होता है आनंद होता है इस तरह से गुरुजी गणेश जी की परिवार की कथा बताएं और सब का अर्थ भी बताएं साथ में यह भी बताएं कि गणेश जी का वाहन मूषक होता है अर्थात जिस घर में मूषक होता है वह सबको कूतर देता है जिस घर में ऐसे कुतरने वाले लोग हो उसको नियंत्रण में रखना चाहिए गणेश जी मूषक को अपना वाहन बनाकर रखते हैं।

हम सबके जीवन में यह सब जरूरी है कि हमारा संबंध किससे है ज्ञान से है आध्यात्मिक स्वतंत्रता से है तब फिर हमारे जीवन में शुभ, लाभ, तुष्टि, पुष्टि ,आमोद ,प्रमोद यह सब प्राप्त होगा । हम इसलिए भटकते हैं कि संतोषी नहीं रहते साथ में यह बताएं कि जब सिर पर भक्ति रूपी गंगा बहती रहती है भगवान को जब सिर पर धारण करते हैं तो फिर जीवन सुखी होता है गृहस्थ जीवन का वर्णन करते हुए यह बताए कि भगवान सिर्फ लीला करते हैं और नर रूप में लीला करके दिखाते हैं उनका तो कोई रूप नहीं होता , परमात्मा निराकार है, भगवान को चरित्र के रूप में नही,लीला को समझने की आवश्यकता है ।

-: श्रीमती कल्पना शुक्ला