भोपाल
कोरोना संक्रमण के दौर में मध्य प्रदेश सहित पूरे देश भर में आॅक्सीजन का टोटा पड़ गया है, ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में मेडिकल आॅक्सीजन निर्माण के लिए नई नीति लागू की गई है। इसमें निवेशकों को 75 करोड़ तक का अनुदान दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश की इस नीति को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उड़ीसा के राज्यों ने पसंद किया है और इसकी जानकारी बुलाई है ।
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग ने मध्यप्रदेश में मेडिकल आॅक्सीजन और उससे जुड़े उपकरणों के निर्माण के लिए भवन एवं संयंत्रों पर किए गए निवेश का 50 फीसदी तक अनुदान देने का निर्णय लिया है। यह अनुदान 75 करोड़ रुपए तक होगा। इसके अलावा मेडिकल आॅक्सीजन तैयार करने वाली इकाइयों को प्रति यूनिट 1 रुपये की दर से 3 साल तक बिजली में भी सब्सिडी देने का निर्णय इस नीति के तहत किया गया है । एमएसएमई, लघु एवं मध्यम उद्यम और बड़े उद्योगों तथा अस्पतालों के द्वारा इस तरह के मेडिकल आॅक्सीजन, क्रायोजेनिक टैंकर कंसंट्रेटर, पीएसएम मशीन या किसी भी अन्य तकनीक से आॅक्सीजन निर्माण करने की इकाई लगाए जाने पर राज्य सरकार द्वारा 75 करोड़ तक का अनुदान देने का निर्णय लिया गया है।
केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई नीति अन्य राज्यों के साथ शेयर की थी। इसके बाद फिलहाल 4 राज्यों ने मध्य प्रदेश सरकार से मेडिकल आॅक्सीजन निर्माण के लिए निवेशकों को आकर्षित करने बनाई गई नई नीति के बारे में जानकारी मांगी है। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण बढ़ने के दौरान भोपाल, इंदौर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, सिंगरौली जैसे स्थानों पर लिक्विड मेडिकल आॅक्सीजन निर्माण के छोटे-छोटे कई संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं। जुलाई-अगस्त तक जहां मध्य प्रदेश में 40 टन क्षमता के संयंत्र स्थापित किए गए थे वहीं वर्तमान दौर में लगभग 90 टन की क्षमता वाले संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं।
पीथमपुर में मित्तल स्टील का कारखाना लंबे समय से बंद पड़ा था लेकिन इसका कारखाने के अंदर आॅक्सीजन निर्माण के लिए लगाए गए प्लांट को मित्तल स्टील ने प्रारंभ कर दिया है। 5 टन की क्षमता वाले इस संयंत्र से रोजाना 4 हजार आॅक्सीजन सिलेंडर गैस का उत्पादन हो रहा है। वही मालनपुर में स्थापित सूर्या बल्ब एंड ट्यूब कंपनी द्वारा अपनी फैक्ट्री में कांच पिघलाने के लिए जिस आॅक्सीजन का उपयोग किया जाता था वहां अब मेडिकल आॅक्सीजन तैयार की जा रही है।
राज्य सरकार द्वारा मेडिकल आॅक्सीजन निर्माण के लिए लागू की गई नई नीति को लेकर निवेशकों ने रुचि दिखाना प्रारंभ कर दी है। भोपाल के कैंसर अस्पताल ने भी औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग से पूछा कि क्या वह भी यह संयंत्र प्रारंभ कर सकते हैं। उन्हें हरी झंडी दे दी गई है। इसी तरह एच ई जी और अन्य बड़ी कंपनियों से भी औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग ने अलग-अलग चर्चा की है। फिक्की और सीआईआई के सदस्यों से भी बातचीत की गई है कि वे मध्यप्रदेश में मेडिकल आॅक्सीजन निर्माण की नई नीति का फायदा उठाकर संयंत्र लगाएं। इस पर कई कंपनियों ने मंजूरी दी है और उन्होंने बाकी की तैयारियां प्रारंभ कर दी है। उम्मीद है कि इस साल मध्यप्रदेश में आॅक्सीजन निर्माण के कई संयंत्र प्रारंभ हो सकेंगे।