होटल के मालिक विपुल क्षीरसागर वजह से होटल भाड़ोत्री पंकज वर्मा को भूखे मरने की नौबत

मुंबई 

भायंदर (वेस्ट) के बोरने वाडी उत्तन में विपुल मुरलीधर क्षीरसागर नामक व्यक्ति ने अपना होटल ‘मानसी उपहार गृह'( कैफे सागा) को 8 नवंबर 2020 को पंकज मुन्नालाल वर्मा को तीन साल के लिए 15 लाख डिपॉज़िट व सवा लाख भाड़े पर दिया। जिसमे से 10 लाख डिपॉज़िट पहले देना था और बाकी बाद में देना था। भाड़ोत्री ने किसी तरह ले देकर 10 लाख डिपॉज़िट देकर होटल लिया और लाखों लगाकर होटल शुरू किया और अप्रैल 2021 तक का भाड़ा दिया और उसके बाद दुर्भाग्यवश करोना का लॉक डाउन लग गया और होटल बंद कर दिया। और मालिक से बात किया कि आपको बंद समय में केवल आधा भाड़ा ही दे पाउँगा या आप डिपॉज़िट वापस कर दे। इसपर होटल के मालिक विपुल को डिपॉज़िट ना लौटना पड़े आधे भाड़े में मान गए।

Hotel tenant Pankaj Varma
पंकज वर्मा

इसके बाद लॉक डाउन में पंकज बाहर गांव चले गए। उनके जाने के बाद साइक्लोन आने के वजह से होटल को नुकसान  हुवा जबकि उस समय होटल विपुल क्षीरसागर इनके कब्जे में था। जब गांव से आने के बाद पंकज वर्मा होटल गए तो कैफे सागा’ होटल के मालिक विपुल  क्षीरसागर ने उन्हें अंदर जाने से मना कर दिया और धमकी देते हुए कहा की मेरी पत्नी आदिवासी है, यहाँ आओगे तो किसी केस में फंसा दूंगा।

पंकज वर्मा ने अपने वकील हरीश पीMansi Uphaar Griha Cafe Saga hotel 2 भंडारी से नोटिस भेज कर अपना  10 लाख डिपॉज़िट वापस करो या तीन साल का लिव एंड लायसेंस के एग्रीमेंट के तहत होटेल मुझे फिर से चलाने की अनुमति दो और लॉक डाउन के महीने का आधा भाड़ा देता हूँ। लेकिन होटल के मालिक विपुल अपने वकील मुकेश एन राठौड़ से नोटिस का जवाब भेजा कि 30 नवंबर 2021 तक साढ़े ग्यारह लाख भाड़ा दे, साथ में इलेक्ट्रिक बिल व वॉचमैन की पगार,और लीगल फीस बीबीएमसी और जब होटल बंद था तो साइक्लोन आने की वजह से होटल का नुक्सान सात लाख भाड़ोत्री दे जबकि होटल बनाने का पूरा खर्चा भाड़ोत्री पंकज ने किया था और जबकि  साइक्लोन जब आया था होटल बंद था और वो विपुल क्षीरसागर के कब्जे में ही था। कुल खर्च लगभग 20 लाख होता है, जिसमें से भाड़ोत्री का डिपोसिट काट के लगभग 10 लाख भाड़ोत्री पंकज वर्मा ‘कैफे सागा’ होटल के मालिक विपुल मुरलीधर क्षीरसागर को दे, ऐसा नोटिस का जवाब भेजा है। जिसके कारण भाड़ोत्री पंकज बहुत आहत हुए और उनकी तबियत ख़राब हो गयी, उनके परिवार और उनके भूखे मरने की नौबत आ गयी है। अब हारकर बड़ी मुश्किल से लोगों से उधार लेकर मुंबई हाईकोर्ट में केस दर्ज करने जा रहे है। सचमुच करोना की वजह से और कुछ लोगों में इंसानियत ना होने की वजह से कितने परिवार तबाह हुए उसका हिसाब लगाना मुश्किल है ?

कोई नहीं सोचता है कि यह तकलीफ कभी भी किसी पर आ सकती है।

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