हीरा कारोबार भी ठप हो चला, हजारों श्रमिक अन्य राज्यों को रवाना हुए

सूरत
कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते गुजरात के सूरत-राजकोट समेत कई शहरों में रात्रि कर्फ्यू लगा है। सरकार के अभी तक के आदेश के मुताबिक, कोविड नियमों वाली पाबंदियां 12 मई तक रहेंगी। रात्रि कर्फ्यू गुजरात के अब 36 शहरों में है.. छोटा लॉकडाउन भी लगा है। हालांकि, मामले बढ़ने पर लोगों को पूर्ण लॉकडाउन लागू होने की आशंका भी हैं। इसी वजह से अब तक हजारों प्रवासी मजदूर गुजरात छोड़ चुके हैं।
 
गुजरात में एक हफ्ते की बंदी से कपड़ा कारोबार को 1050 करोड़ का घाटा हुआ। कपड़ा इंडस्ट्री से सात लाख मजदूर अपने-अपने गांव चले गए। कुछ ऐसा ही हाल देश की डायमंड कैपिटल कहे जाने वाले सूरत में हीरा कारोबार का भी है। एक हीरा कारोबारी ने बताया, "50-60% कारीगर सूरत से अपने-अपने गांव-कस्बों को चले गए हैं। जिससे हीरा कारोबारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।"
 
हीरा कारोबारी ने कहा, "गुजरात में पूर्ण लॉकडाउन लगने के डर से कारीगर अब काम पर आने से डर रहे हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच लॉकडाउन लगने की आशंका को देखते हुए कई अन्य व्यापार-कारोबार भी ठप हो चले हैं।"
तस्वीर में दिख रहा है कि, हीरा कारोबारियों की दुकानें बंद हैं। उनका कहना है कि, हीरा कारीगर अपने गांव चले गए हैं, जिससे कारोबारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।
 
उधर, कपड़ा-कारोबार से जुड़े एक व्यापारी ने कहा कि, इस जिले की वीविंग-निटिंग इंडस्ट्री में 7 लाख, प्रोसेस हाउस में 3 लाख, एम्ब्रॉयडरी में ढाई लाख और कपड़ा मार्केट में ढाई लाख श्रमिक काम करते हैं। इन सभी सेक्टर से 50% श्रमिक ओडिशा, यूपी-बिहार और बंगाल जा चुके हैं। कपड़ा व्यापारी नरेंद्र साबू ने बताया कि मुश्किल से 15 से 20 फीसदी व्यापार बचा है। वहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 7 अप्रैल से अब तक ट्रेन से 3.5 लाख और बस से 3 लाख से अधिक लोग अपने गांव जा चुके हैं।