साधना, उपासना, व्रत के लिए एक सर्वमान्य ग्रंथ श्री दुर्गा सप्तशती आराधना से सबके कष्ट दूर होते हैं.

 

॥ॐ नमश्चण्डिकायै॥

देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य । प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ||

माता रानी दुर्गा के साधना, उपासना, व्रत के लिए एक सर्वमान्य ग्रंथ है। इस ग्रन्थ में माँ भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ ही बड़े-बड़े गुढ़ साधान रहष्य भरें हैं । कर्म, भक्ति, ज्ञान की त्रिविध मन्दाकिनी बहाने वाली यह ग्रन्थ भक्तों के लिये ‘कल्पवृक्षा के समान है। सकाम भक्त इसके सेवन से दुर्लभतम वस्तु या स्थिति सहज ही प्राप्त करते है और निष्काम भक्त परम् दुर्लभ मोक्ष को पाकर कृतार्थ होते हैं ।

” महाराजा सुरथ से महर्षि मेधाने कहा था “तामुपैहि महाराज शरणं परमेश्वरीम । आराधिता सैव नृणां भोगस्वर्गापवर्गदा ।।

महाराज ! आप उन्हीं भगवती परमेश्वरी की शरण ग्रहण कीजिये। वे आराधना से प्रसन्न होकर मनुष्यों को भोग, स्वर्ग और अपुनरावर्ती मोक्ष प्रदान करती है। इसी के अनुसार आराधना करके ऐश्वर्यकामी राजा सुरथने अखण्ड साम्राज्य प्राप्त किया, तथा वैराग्यवान् समाधि वैश्यने दुर्लभ ज्ञान के द्वारा मोक्ष की प्राप्ति की। अब तक इस आशीर्वादरूप मन्त्रमय ग्रन्थ के आश्रय से न मालूम कितने आर्त, अर्थार्थी, जिज्ञासु तथा प्रेमी भक्त अपना मनोरथ सफल कर चुके हैं।

हर्ष की बात है कि जगज्जननी भगवती श्रीदुर्गाजी की कृपा से एवं गुरु जी श्री संकर्षण शरण जी की आशीर्वचनों से वही सप्तशती संक्षिप्त पाठ-विधिसहित पाठकों के समक्ष प्रस्तुत की जा रही है। इसमें कथा-भाग तथा अन्य बातें वे ही हैं, जो श्री दुर्गा सप्तशती एवं ‘कल्याण’ के विशेषाङ्क ‘संक्षिप्त मार्कण्डेय ब्रह्मपुराणाङ्क’ में प्रकाशित हो चुकी हैं।

प्रति दिन दैनिक हिन्द मित्र के वेबसाइट https://dainikhindmitra.com/ पर पाठकों के लिए प्रस्तुत करने का एक प्रयास है ।
इसमें कई उपयोगी स्त्रोत और मंत्र भी आप पाठकों के बीच प्रस्तुत किया जावेगा, जो आप के जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त करने में सहायक होगी ।

इस भागम-भाग की दुनिया में आप उन्हीं माँ भगवती परमेश्वरी की शरण ग्रहण कीजिये । वो आराधना से प्रसन्न होकर सबके कष्ट दूर करतीं है ।
सप्तशती पाठ विधि आगमी तिथि पर क्रमशः “दैनिक हिन्द मित्र” वेबपोर्टल पर प्रकाशित कियें जाएंगे ।
इस नवरात्रि के साथ माँ भगवती की कृपा सदा सब पर बनी रहे ।

क्रमशः

प्रस्तुतकर्ता: श्रीमती कल्पना शुक्ला  

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