भोपाल
प्रदेश भाजपा में संभागीय संगठन मंत्री के पदों मे कटौती करने की तैयारी है। अब सभी दस संभागों के लिए संभागीय संगठन मंत्री नियुक्त करने के बजाय भाजपा आरएसएस की तर्ज पर प्रांत संगठन मंत्री नियुक्त करेगी। इन प्रांत संगठन मंत्रियों की तर्ज पर हर दो जिलों के बीच एक संगठन सहायक की नियुक्ति की जाएगी। संघ के निर्देश पर भाजपा जल्द ही इस पर अमल करेगी। प्रदेश स्तर पर संगठन महामंत्री की व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा। संघ की जो व्यवस्था है, उसके अनुसार मध्यप्रदेश में तीन प्रांत महाकौशल, मध्यभारत और मालवा प्रांत हैं। इन प्रांतों में संघ के प्रांत प्रमुख के अधीन पूरा सिस्टम काम करता है।
इसी पैटर्न को अब भाजपा में लागू करने की तैयारी है। दस संभागों इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, इंदौर, सागर, होशंगाबाद, उज्जैन, शहडोल में अभी संभागीय संगठन मंत्री की व्यवस्था है। यहां मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक शैलेन्द्र बरुआ जबलपुर एवं होशंगाबाद, आशुतोष तिवारी भोपाल एवं ग्वालियर, जितेन्द्र लिटोरिया उज्जैन, श्याम महाजन रीवा एवं शहडोल, जयपाल चावड़ा इंदौर और केशव भदौरिया सागर एवं चंबल की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार दस संभागों के लिए काम कर रहे इन छह संभागीय संगठन मंत्रियों की संख्या अब घटाकर आधी यानी तीन कर दी जाएगी। इसके बाद ये तीन पद मध्यभारत, मालवा और महाकौशल प्रांत संगठन मंत्री के रूप में होंगे।
भाजपा में एक दौर में 32 संगठन मंत्री काम करते थे। ये दस संभागों में काम करते थे और कई संगठन मंत्रियों के पास तो एक से तीन जिलों तक की जिम्मेदारी होती थी। प्रभात झा के अध्यक्ष रहने तक यह व्यवस्था थी जो धीरे-धीरे कम होती जा रही है। नंदकुमार सिंह चौहान के अध्यक्ष बनने के बाद इसमें कमी आना शुरू हुई जिसे अब और घटाने की तैयारी है।
संघ के संभागीय संगठन मंत्रियों की संघ में वापसी की जो वजहें सामने आ रही हैं, उसमें भाजपा में भेजे जाने के बाद उनके विरुद्ध बढ़ती शिकायतें और संघ की तर्ज पर संभागीय स्तर पर सक्रियता और समन्वय में कमी को वजह बताया जा रहा है। इसके साथ ही बीजेपी में भेजे गए पूर्णकालिकों की सेवाएं संघ द्वारा दूसरे कार्यों में लेने की तैयारी के चलते भी ऐसी व्यवस्था बन रही है।
संभागीय संगठन मंत्री के पद पर संघ की ओर से भेजे जाने वाले पूर्णकालिकों को जिम्मेदारी सौंपी जाती रही है। संघ द्वारा पिछले कई सालों से बीजेपी में पूर्णकालिक भेजने की संख्या कम की जा रही है। यही वजह रही कि दस संभागों में छह ही काम कर पा रहे और तीन के पास दोहरा प्रभार है। अब इस संख्या में और कमी की चलते संघ पैटर्न लागू करने की तैयारी है।