विस् अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने गुरु गोबिन्द सिंह जी की जयंती, प्रकाश पर्व पर प्रदेशवासियों को दी बधाईयां…

छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत

रायपुर,

छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के “अवतरण दिवस” प्रकाश पर्व पर प्रदेशवासियों को दी बधाई एवं शुभकामनाएं।

डॉ महंत ने कहा, गुरुगोविंद सिंह जी सिक्खों के दसवें व अंतिम गुरु माने जाते हैं। वे सिक्खों के सैनिक संगति, ख़ालसा के सृजन के लिए प्रसिद्ध थे। कुछ ज्ञानी कहते हैं कि जब-जब धर्म का ह्रास होता है, तब-तब सत्य एवं न्याय का विघटन भी होता है तथा आतंक के कारण अत्याचार, अन्याय, हिंसा और मानवता खतरे में होती है। उस समय दुष्टों का नाश एवं सत्य, न्याय और धर्म की रक्षा करने के लिए ईश्वर स्वयं इस भूतल पर अवतरित होते हैं। उन्होंने सिक्ख क़ानून को सूत्रबद्ध किया, काव्य रचना की और सिक्ख ग्रंथ ‘दसम ग्रंथ’ (दसवां खंड) लिखकर प्रसिद्धि पाई, देश, धर्म और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सिक्खों को संगठित कर सैनिक परिवेश में ढाला। दशम गुरु गोबिन्द सिंह जी स्वयं एक ऐसे ही महापुरुष थे, जो उस युग की आतंकवादी शक्तियों का नाश करने तथा धर्म एवं न्याय की प्रतिष्ठा के लिए गुरु तेग़बहादुर सिंह जी के यहाँ अवतरित हुए। इसी उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा था।

“मुझे परमेश्वर ने दुष्टों का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए भेजा है।“

गुरु गोबिंद सिंह जी ने बताया ख़ालसा का अर्थ है ख़ालिस अर्थात् विशुद्ध, निर्मल और बिना किसी मिलावट वाला व्यक्ति। इसके अलावा हम यह कह सकते हैं कि ख़ालसा हमारी मर्यादा और भारतीय संस्कृति की एक पहचान है, जो हर हाल में प्रभु का स्मरण रखता है और अपने कर्म को अपना धर्म मान कर ज़ुल्म और ज़ालिम से लोहा भी लेता है। गोबिन्द सिंह जी ने एक नया नारा दिया है – वाहे गुरु जी का ख़ालसा, वाहे गुरु जी की फतेह। गुरु जी द्वारा ख़ालसा का पहला धर्म है कि वह देश, धर्म और मानवता की रक्षा के लिए तन-मन-धन सब न्यौछावर कर दे।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here