वक्ता मंच की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न हुई, गोष्ठी में रायपुर व आसपास के जिलों से आये कवियों ने बडी संख्या में भागीदारी की

रायपुर,

राजधानी के मेग्नेटो माल स्थित संतोष हाल में आज 5 मार्च को वक्ता मंच की मासिक काव्य गोष्ठी में रायपुर व आसपास के जिलों से आये कवियों ने बडी संख्या में भागीदारी की। वक्ता मंच के अध्यक्ष राजेश पराते ने जानकारी दी है कि “ऋतुराज वसंत तुम्हारा स्वागत है” विषय पर संपन्न गोष्ठी में वसंत के साथ ही रूस युक्रेन युद्ध, ईश आराधना, चुनाव, महंगाई, काश्मीर, कोरोना सहित अनेक विषयों पर हिंदी व छत्तीसगढ़ी में 50 से अधिक नवोदित व स्थापित कवियों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुनील पांडे ने की। मंच पर छत्रसिंह बच्छावत, राजकुमार मसंद, डा उमा स्वामी एवं श्रीमती ज्योति शुक्ला विराजमान थी। शिवानी मैत्रा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ आरंभ हुई काव्य गोष्ठी में रायपुर, राजिम, बेमेतरा व गरियाबंद से आये हुए कवियों ने काव्य पाठ किया। आयोजन का सफल संयोजन शुभम साहू द्वारा किया गया।

प्रमुख प्रस्तुतियां इस प्रकार रही:-
राजकुमार मसंद:
भीतर में बैठे राम को देखा नही कभी,
पत्थरों में जिसकोढूँढते है सुबह शाम लोग।

सुनील पांडे:-
प्रकृति ने कोयल को प्रवक्ता बनाया है
और उसकी ओर से बाकायदा बयान आया है
आम और खास को खबरदार करने जा रहे है
बाअदब बामुलाहिजा ऋतुराज बसंत आ रहे है

राजेश पराते:-
मै रायपुर बोल रहा हूँ
दक्षिण कौशल का वैभव
मौर्य साम्राज्य का शैशव
समुद्रगुप्त से कलचुरी शासको तक की स्मृतियाँ
विवेकानन्द की बचपन की अठखेलियाँ
मधुरतम अतीत की स्मृतियों को संजोये हुए
अपने ही गर्वोन्मत इतिहास में डोल रहा हूँ
मै रायपुर बोल रहा हूँ

प्रवीण गुप्ता:-
मिले फूल हर डगर तो काँटों का दर्द कैसे पता चलेगा
और दर्द न हुआ तो मरहम का काम कौन करेगा
मुसीबते नही होंगी तो अपनों की पहचान कौन करेगा
आस्तीन के सांप की पड़ताल फिर कौन करेगा

शिवानी मैत्रा:-
युद्ध की परिस्थितियों से सभी अवगत है
फिर भी वक्त की बहती धारा के संग
ऋतुराज बसंत तुम्हारा स्वागत है

अनिल श्रीवास्तव’ जाहिद’:-
मतलब से कभी भी हम मतलब नही रखते है
बेरंग लिबासो को रंगीन सदा करते है
फूलों में नहीं रहते काँटों की तरह छुपकर
खुशबू की तरह हरदम उपवन में बिखरते है।

पूर्नेश डडसेना:-
बसंत की बहार देखो
होली का त्यौहार देखो
नई नवेली दुल्हन सी
प्रकृति का श्रृंगार देखो

काव्य गोष्ठी में मधु तिवारी, जागृति मिश्रा, डा कमल वर्मा, चेतन भारती, चंद्रकला त्रिपाठी, प्रवीण गुप्ता, कुमार जगदलवी, दिनेश चौहान, भागचंद बंजारे, संतोष व्यास, विजय श्री स्वामी, पारेलाल साहू, मोहित कुमार शर्मा, डा उमा स्वामी, सुनील पांडे, राजकुमार मसंद, ज्योति शुक्ला, यशवंत यदु ‘यश’, धनेश्वर प्रसाद पटेल, लिलेश्वर देवांगन, पूर्नेश डडसेना, आशा मानव, डा साधना कसार, संजय कुमार देवांगन, ईश्वर निषाद, मिलन शिवारे, एम के पाल, सत्यनारायण अग्रवाल, लोकनाथ साहू ‘आलोक’, खेमचंद यादव, मो हुसैन, लक्ष्मीकांत वैष्णव, पुष्पराज गुप्ता, राजेश कुमार निषाद, कुलदीप सिंग चंदेल, ऋषभ बंजारे, नूतनलाल साहू, रमा पाठक, प्रगति पराते एवं हर्ष बाला साहू द्वारा काव्य पाठ किया गया। समापन अवसर पर महिला दिवस के पूर्व उपस्थित कवियित्रियों का अभिनंदन किया गया। वक्ता मंच के संयोजक शुभम साहू द्वारा प्रस्तुत आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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