राजनाथ सिंह ने रूसी रक्षामंत्री से भी मुलाकात कर रक्षा रिश्तों की मजबूती दोहराई

दुशान्बे
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दुशान्बे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की एक बैठक में शामिल होकर क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों और अफगानिस्तान में स्थिति पर विस्तृत चर्चा की। एससीओ के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए सिंह तीन दिनों के दौरे पर मंगलवार को ताजिकिस्तान की राजधानी पहुंचे। एससीओ, आठ देशों का एक प्रभावशाली समूह है।

बैठक से पहले राजनाथ सिंह ने बेलारूस के अपने समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल विक्टर ख्रेनिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की और रूसी रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगु के साथ संक्षिप्त वार्ता की। रूस में भारतीय दूतावास ने दोनों नेताओं की तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, गर्मजोशी भरी और विश्वसनीय मित्रता : दुशान्बे में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक से अलग रूसी रक्षा मंत्री शोइगु के साथ बातचीत करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।

दोनों मंत्रियों ने हमारे रक्षा संबंधों के मजबूत बने रहने की बात दोहराई। अधिकारियों ने बताया कि बैठक में सिंह ने आतंकवाद समेत क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों और उनसे निपटने के तरीकों पर चर्चा करने की उम्मीद जताई। इस दौरान चर्चा में मुख्य जोर क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियां और अफगानिस्तान में उभरती स्थिति पर रहा। चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगहे भी एससीओ बैठक में शामिल हो रहे हैं।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बेलारूस के रक्षामंत्री लेफ्टिनेंट जनरल विक्टर ख्रेनिन के साथ दुशान्बे में एससीओ सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर वार्ता की। उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी बात की। ताजिकिस्तान इस साल एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है और आधिकारिक स्तर एवं मंत्रिस्तरीय बैठकों की मेजबानी कर रहा है।

एससीओ को पश्चिमी देशों के सबसे बड़े संगठन नाटो के बराबर समझा जाता है। आठ सदस्यीय यह गुट आर्थिक और सुरक्षा संगठन है जो सबसे बड़े अंतरक्षेत्रीय वैश्विक संगठनों के रूप में उभरा है।

भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने थे। इसकी स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, किर्गिस गणराज्य, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने एक शिखर सम्मेलन में की थी।

भारत ने एससीओ और इसके क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचे (आरएटीएस) के साथ अपने सुरक्षा-संबंधी सहयोग को गहरा करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है, जो विशेष रूप से सुरक्षा और रक्षा से संबंधित मुद्दों से संबंधित है। भारत को 2005 में एक पर्यवेक्षक बनाया गया था और उसने सामान्य तौर पर समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भाग लिया है जो मुख्य रूप से यूरेशियाई क्षेत्र में सुरक्षा व आर्थिक मदद पर केंद्रित है।

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