मोदी सरकार से देश नहीं संभल रहा, न कोल इंडिया बचा पा रहे, न रेलवे – सुशील आनंद शुक्ला  

भाजपा सांसद ने मोदी सरकार का पोल खोला मेंटेनेंस नहीं कोयला संकट के कारण ट्रेन रद्द हुई है

सुशील आनंद शुक्ला अध्यक्ष कांग्रेस संचार विभाग छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी

रायपुर

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राज्य से 23 ट्रेनों के परिचालन रद्द किये जाने से एक बार फिर से यह साबित हो गया कि नरेन्द्र मोदी से देश नहीं संभल रहा है। मोदी सरकार से देश नहीं संभल रहा, न कोल इंडिया बचा पा रहे, न रेलवे। सुधार कार्य और मेंटेनेंस के नाम पर ट्रेनों को रद्द करना एक बहाना है। दरअसल मोदी सरकार ने ट्रेनों को परिचालन कोयला संकट के कारण रद्द किया है। भाजपा सांसद ने मोदी सरकार का पोल खोला मेंटेनेंस नहीं कोयला संकट के कारण ट्रेन रद्द हुई है। स्वयं रायपुर के सांसद सुनील सोनी ने यह स्वीकार किया है कि यदि ट्रेनों को रद्द नहीं किया गया तो 7 से 8 राज्यों में बिजली संकट के कारण ब्लेक आऊट की स्थिति पैदा हो जायेगी।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कियदि ट्रेन मेंटनेंस के कारण ट्रेनों को रद्द किया गया है तो फिर उसी रेलवे ट्रेक पर मालगाड़ियों का परिचालन कैसे किया जा रहा है। न सिर्फ मालगाड़ियों का परिचालन किया जा रहा उनकी संख्या दोगुनी भी कर दी गयी है। छत्तीसगढ़ की धरती रत्नगर्भा है। हमारे यहां कोयले का प्रचुर भंडार है। इसका मतलब यह तो नहीं कि खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ेगा। जिन मार्गो पर ट्रेनों को बंद किया गया वहां पर कुछ दूसरी ट्रेन चलेगी। धड़ल्ले से मालवाहन ट्रेन भी चलेगी। फिर शेष ट्रेनों को चलाने में क्या परेशानी होगी? जब सवारी ट्रेनों से 50 गुना ज्यादा वजन लेकर मालगाड़ियां चल सकती है तब सवारी गाड़ी को ही क्यों बंद किया गया?

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राज्य की अब तक 109 ट्रेनों को बंद कर दिया गया है। 87 ट्रेनों को पिछले दो सालों से कोरोना के नाम से दो साल से बंद किया गया। 22 ट्रेनों को अब रद्द कर दिया गया है। ट्रेनों के बंद किये जाने से रेलवे से जुड़कर जीविकोपार्जन करने वाले लोग भी परेशान है। राज्य के साथ हुये इस अन्याय पर भाजपा नेता मौन क्यों हैं? छत्तीसगढ़ के भाजपा के 9 सांसद, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री कहां है? जनता के हितों के लिये भी केंद्र सरकार के सामने आवाज उठाने में हिचक क्यों रहे हैं? क्या दलीय प्रतिबद्धता जन सरोकारों से भी बड़ी हो गयी है।

 

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