नई दिल्ली.
केंद्र सरकार बुधवार को ऑटो सेक्टर के लिए करीब 57 हजार करोड़ रुपये की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना यानी पीएलआई स्कीम को मंजूरी दे सकती है। इस योजना के तहत न सिर्फ ऑटो कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने में सहारा मिलेगा बल्कि एक्सपोर्ट के मोर्चे पर भी भारत की पकड़ और मजबूत होगी। साथ ही देश में नौकरियों के मौके भी बढ़ेंगे।
सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक आठ सितंबर को संभावित कैबिनेट बैठक में इसे अंतिम मंजूरी दी जा सकती है। भारी उद्योग मंत्रालय ने इस बारे में प्रस्ताव तैयार करके केबिनेट को भेज दिया है। पिछले कुछ हफ्तों से लगातार इस बारे में तैयारी की जा रही थी। इससे जुड़े विभागों और नीति आयोग के बीच भी कई दौर की बातचीत में योजना पर मंथन किया गया था। साथ ही कैबिनेट सचिव की अगुवाई में हुई बैठक में भी इसके स्वरूप को मंजूरी मिल चुकी है।
उल्लेखनीय है कि देश का वाहन क्षेत्र पिछले कई साल से सुस्ती का सामना कर रहा है। कोरोना संकट ने इसे और बढ़ा दिया है। इसके मद्देनजर सरकार वाहन क्षेत्र को गति देने के लिए चौतरफा प्रयास कर रही है। वाहन क्षेत्र की बड़ी कंपनियों से सूक्ष्म,छोटे एवं मझौले (एमएसएमई) क्षेत्र की हजारों कंपनियां जुड़ी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे में वाहन क्षेत्र में पीएलआई से एमएसएमई को भी फायदा होगा। साथ ही रोजगार के अवसर बढ़ने और निर्यात में वृद्धि से अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार मिलेगी। उद्योग के अनुमान के अनुसार एक वाहन के निर्माण में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तीन लोगों को रोजगार मिलता है।
सरकार का लक्ष्य अगले पांच साल में ऑटो एक्सपोर्ट बढ़ाकर 30 अरब डॉलर करने का है। ऐसे में न सिर्फ उत्पादन बल्कि इस क्षेत्र में रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे। दरअसल तमाम दिग्गज ऑटो कंपनियां, चीन के अलावा बाकी देशों में अपने कारोबार को फैलाने के मौके तलाश रही हैं। ऐसे में भारत भी अपनी नीतियों को ऐसा बना रहा है जो देश के आर्थिक विकास के साथ साथ कंपनियों के निवेश के लिए भी फायदेमंद हों। यही वजह है कि सरकार देश में निवेश करके यहां से उत्पादन करते हुए दुनियाभर में एक्सपोर्ट बढ़ाने के मॉडल पर काम कर रही है।