मुजफ्फरपुर के कई गांवों में घुसा बागमती का पानी, कटरा के 14 पंचायतों का सड़क संपर्क भंग

मुजफ्फरपुर
नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों और सीमा से सटे उत्तर बिहार के इलाकों में लगातार हो रही बारिश से पहाड़ी नदियों के साथ-साथ बागमती, बूढ़ी गंडक, गंडक, कमला जैसी नदियों का जलस्तर बढ़ने लग है. इससे उत्तर बिहार में बाढ़ का पानी नये इलाकों में फैलने लगा है. मुजफ्फरपुर के औराई व कटरा प्रखंड की दो दर्जन से अधिक पंचायतें बाढ़ से घिर गयी हैं. गुरुवार की दोपहर से पानी तेजी से बढ़ने लगा. कटरा में बागमती के जलस्तर में वृद्धि से प्रखंड के उत्तरी हिस्से के 14 पंचायतों का प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क भंग हो गया है.

बकुची पतारी, नवादा, अनदामा सहित कई गांवों में बाढ़ का पानी फैल गया है. बकुची गांव के लोगों का कहना है कि सुबह में चौर से लेकर घर तक सूखा था. दोपहर में अचानक बहाव तेज हुआ और देखते-देखते पानी घर में घुस गया. मधुबन प्रताप में चचरी पुल पर पानी का दबाव बना हुआ है. स्थानीय लोग पुल को बचाने में लगे हैं. यही हाल आसपास के गांवों का भी है. लोग नाव के सहारे ऊंचे स्थान पर जा रहे है. बागमती बांध पर तिरपाल लगा लोग अपने सामान और मवेशियों के साथ शरण लिए हुए हैं.

लखनदेई के जलस्तर में बढ़ोतरी से औराई, राजखंड उत्तरी, राजखंड दक्षिणी, नयागांव, बभनगामा, सिमरी आलमपुर, रामपुर, रतवारा पश्चिमी, रतवारा पूर्वी, भलूड़ा बिशनपुर गोकुल समेत 14 पंचायतों पर बाढ़ का संकट गहरा गया है. लखनदेई का राजखंड, कोरियाही, छोटी सीमरी, घसना समेत आधा दर्जन स्थानों पर तटबंध खुला हुआ है. इस कारण 14 पंचायतों में घर डूबने की आशंका है. उधर, बूढ़ी गंडक के पानी में दोपहर के बाद मामूली वृद्धि हुई है. गंडक का भी पानी बढ़ रहा है. अनुमान है कि एक दो दिन में गंडक व बूढ़ी गंडक के जलस्तर में काफी वृद्धि होगी.

वहीं औराई प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली बागमती के जलस्तर में गुरुवार की सुबह से ही तेज गति से जलस्तर में वृद्धि जारी रही. गुरुवार की देर शाम तक करीब पांच फीट की बढ़ोतरी हुई. इस कारण विस्थापित एक दर्जन गांवों के बाढ़ पीड़ितों ने सुरक्षित स्थानों पर शरण लेना शुरू कर दिया है. प्रभावित मधुबन प्रताप के बाढ़ पीड़ित ग्राम कचहरी सचिव लालबाबू सहनी ने बताया कि संभावित खतरे को देख वे लोग सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं. उधर, चैनपुर, बभनगामा पश्चिमी, बारा खुर्द, बारा बुजुर्ग, महुआरा के सैकड़ों परिवार साजों सामान के साथ रिश्तेदारों व किराये के मकान में शरण लेने को मजबूर हैं.

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