मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से एवरेस्ट बेस कैंप फतह करने वाले प्रतिभागियों ने की मुलाकात, अभियान में शामिल थे 4 दिव्यांग व एक ट्रांसजेंडर

रायपुर,

जब इरादें फौलादी हो तो बाधा कितनी भी बड़ी हो, कदम मंजिल तक पहुंच ही जाते है। इसी बुलंद हौसलों के साथ एवरेस्ट बेस कैंप तक विजय पा चुके प्रतिभागियों की टीम ने आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उनके निवास कार्यालय में मुलाकात की। इस अभियान में अलग-अलग उम्र एवं कम्यूनिटी के 4 दिव्यांग, एक ट्रांसजेंडर एक साथ में ट्रैकिंग की।एवरेस्ट बेस कैंप की ऊंचाई 5364 मीटर है। मिशन इन्क्लूशन के नाम से 23 अप्रैल 2022 को शुरू हुआ यह मिशन 3 मई को खत्म हुआ। कुल 10 दिन तक चले इस मिशन में कई बाधाएं आई, लेकिन टीम ने इसे चुनौती के रूप में स्वीकार किया और विजय पाई। मुख्यमंत्री ने पूरी टीम के हौसलों को सराहा और कहा कि आप लोगों की सफलता बाकियों के लिए प्रेरणा का काम करेगी। इस दौरान ट्रैकिंग टीम ने मुख्यमंत्री बघेल को ट्रैकिंग के दौरान की बनाई गई डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई और अपनी टीम की एक फोटो भी भेंट की।

टीम का नेतृत्व कर रहे दिव्यांग पर्वतारोही चित्रसेन साहू इससे पहले माउंट किलिमनंजारो, एलब्रस और कोस्सियारो फतह कर चुके हैं। टीम की अन्य सदस्य दिव्यांग सुश्री 14 वर्षीय सुश्री चंचल सोनी ने वैसाखी के सहारे एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंची। वह एक पैर के सहारे पर्वतारोहण करने वाली विश्व की सबसे कम उम्र की प्रतिभागी है। ब्लाइंड पैरा जूडो खिलाड़ी सुश्री रजनी जोशी, जिन्हें लो विजन की समस्या है, वह भी टीम में शमिल थी। इसके साथ ही एक कृत्रिम पैर के साथ अनवर अली ने एवम छत्तीसगढ़ की पहली ट्रांसजेंडर निक्की बजाज के आलावा गुंजन सिन्हा, पेमेंन्द्र चंद्राकर, राघवेंद्र चंद्राकर एवं आशुतोष पांडेय भी इस अभियान में शमिल थे।

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