मीसाबंदियों की पेंशन की रोक पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर स्वागतेय – कांग्रेस

रायपुर,

मीसाबंदियो को मिलने वाले पेशन पर कांग्रेस सरकार द्वारा लगाई गयी रोक पर उच्चतम न्यायलय के मुहर से साफ हो गया कि रमन सरकार ने मीसाबंदियो के उपर 15 साल में लगभग 100 करोड़ की राशि लूटा दिया था। जनता के धान के बंदरबांट के लिये रमन सिंह प्रदेश की जनता से माफी मांगे। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा अपने विचारधारा के संगठन के लोगो के ऊपर लुटाने का इससे बड़ा उदाहरण शायद नहीं होगा। आरएसएस और भाजपा के कार्यकर्ताओं को इसलिये पेंशन दिया जा रहा था कि उन्होंने तत्कालीन केन्द्र सरकार के खिलाफ भाजपा के आह्वान पर आंदोलन किया था।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह सरकार द्वारा 5 अगस्त 2008 को कांग्रेस-विरोधी विचारधारा के मीसा बंदियों को लाभ पहुंचाने के लिए यह जनविरोधी योजना लागू की गयी थी जिसके तहत 300 मीसा बंदियों को लगभग 25,000 प्रतिमाह की राशि दी जाती थी। 2008 से लेकर आज तक 90 से 100 करोड़ रुपए की राशि मीसा बंदियों को राहत देने के नाम पर भाजपा और संघ विचारधारा के लोगों की भेंट चढ़ा दी गई। रमन सिंह जी की सरकार ने लगातार सरकारी पैसों का दुरूपयोग कर कांग्रेस विरोधी विचारधारा के व्यक्तियों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिये सरकारी खजाने के दुरूपयोग का स्तरहीन आचरण किया था।


प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह के 15 साल के शासनकाल में प्रतिदिन फसल खराब होने उपज की सही कीमत नही मिलने से हताश परेशान कर्ज से दबे प्रतिदिन दो किसान आत्महत्या करते थे। किसानों को फसल की पूरी कीमत और बोनस देने कर्जा माफ के लिये, आदिवासियों को वादा अनुसार गाय देने के लिये रमन सिंह के पास पैसा नहीं था। अस्पतालों में दवाईयां स्वास्थ सुविधाओं की कमी रही स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर होती गई और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भाजपा से जुड़े लोगों को सरकारी खजाने से दूधभात खिलाते रहे।


प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आपत्तिजनक यह है कि भाजपा ने अपने आंदोलन के कार्यकताओं को देश की स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बराबर बताने की कुचेष्टा करती है। भाजपा की निगाह में देश के आजादी की लड़ाई और उसके दल के हितो की लड़ाई के लिये आंदोलन में कोई फर्क नहीं है। जब देश के आजादी की लड़ाई चल रही थी तब भाजपाई अंग्रेजो का साथ दे रहे थे, जब देश आजाद हो गया तब आजादी के लिये कुर्बानी देने वालो के योगदान को कमतर आंकना भाजपा की फितरत बन गयी है।

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