माँ की महिमा – श्रीमती कल्पना 

!!माँ की महिमा !!

!जय मां!

जिस धरती पर हम रहते हैं वो है धरती मां।
हम जिस देश में रहते हैं उस देश को भी कहा गया भारत माँ ।
प्रकृति के हर कण-कण में, पूरी प्रकृति है मां ।
हर उपमा जहां फीकी लगती है, उस सर्वोच्च शिखर का नाम है मां ।
शब्दों में जिसे पिरोया ना जा सके, वो शब्द है मां ।
सुखी घर संसार के रचयिता व मार्गदर्शक है मां ।
आशीष से भरे शीतलता लिए आंचल का नाम है मां।
फूलों की खुशबू भरी डलिया का नाम है मां ।
अर्पण ,समर्पण, त्याग, ममता,प्रेम का नाम है मां।
अटूट ,अबूझ, बहुमूल्य प्यारा -सा रिश्तों का नाम है मां ।
हर हाल में जो मुस्कान दे , उस मुस्कान का नाम है मां ।
हर पल हमे शिक्षित करती गुरु का नाम है मां ।
त्याग ,बलिदान ,और साहस का नाम है मां ।
हर कष्ट सहकर जो हमे पालती, उस पालनहार ईश्वर का नाम है मां ।
मां के प्यार का कोई जवाब नहीं , कोई कीमत नही, कोई हिसाब नही मां का दूसरा नाम परमेश्वर है ।
अगर जन्नत कहीं हो तो उस आंचल का नाम हैं माँ।
शब्द ,ग्रंथ ,महाविद्यालय, बीज मंत्र, तप , है और सृष्टि का आधार है माँ ।
जिसके प्रेम को कभी पतझड़ स्पर्श ना करें उस बसन्त ऋतु का नाम है मां ।
प्रभु को जानने की उसे पाने की पहली सीढ़ी है मां।
जो तलहटी की गणना करें वह शिखर को प्राप्त करें वह सीढ़ी है माँ।
हर असम्भव को संभव करने का नाम है मां ।
माँ की आराधना करके हजार माला गिन कर प्रभु को प्राप्त कर लेते है।
मां को जानने वाला परमात्मा को जान सकता है ।
महात्मा एवं परमात्मा भी वही बन सकता है जो मां को पहचान सकता हैं ।
जो परमात्मा को भी शिशु का रूप बना दे उस शक्ति का नाम है मां ।
भगवान भी जिसकी ममता पाने के लिए लालायित रहते हैं ,उसका नाम है माँ।
मां के आंचल में स्वयं भगवान भी बंध जाना चाहते हैं उस निः स्वार्थ प्रेम का नाम है मां ।
जो ह हर पल शक्ति और विश्वास बनकर साथ रहती है उसका नाम है माँ।
सबकी रक्षा के लिए जो दुर्गा , काली ,सरस्वती ,का रूप धारण करें ,उस आदिशक्ति का नाम है मां।
भगवान भी जहां नतमस्तक होते उसका परम शक्ति का नाम मां।
लिखते चले तो कहीं अंत नहीं अनंत है मां की ममता , माँ की महिमा ।

श्रीमती कल्पना

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