भोपाल
मध्यप्रदेश में चिकित्सा सुविधा दुरुस्त करने और विशेषज्ञों की कमी को दूर करने के लिए मध्यप्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ ने पीजी मेडिकल ऑफिसर्स को विशेषज्ञ के पद पर अपग्रेड करने की मांग की है। पदोन्नति पर कोर्ट की रोक लगी है इस वजह से पीजी चिकित्सको को भी पददोन्न नहीं किया जा रहा है। व्यवहारिक समस्या को देखते हुए व जनहित में संघ ने पीजी चिकित्सकों को विशेषज्ञ के पद पर अपग्रेडेशन की मांग की है। मप्र चिकित्सक अधिकारी संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में करीब 900 पीजी चिकित्सक वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं,वरिष्ठता का वेतनमान भी ले रहे हैं लेकिन शासन ने अभी तक उन्हें विशेषज्ञ पद पर अपग्रेड नहीं किया है। जिसके कारण पीजी मेडिकल चिकित्सक केजुअल्टी में रहकर mlc का कार्य करना पड़ता है जिस कारण से विषय विशेषज्ञता होने के बाद भी मरीजों को इन चिकित्सकों की विशेषज्ञता का लाभ सही प्रकार से नही मिल पाता है।
चिकित्सकीय कार्य प्रणाली में opd व केजुलटी में मरीज देखे जाते है और आवश्यक होने पर भर्ती किए जाते है। केजुलटी में मेडिकल ऑफिसर देखते है और आवश्यक होने पर विशेषज्ञों के पास भेजते हैं। opd व भर्ती मरीज़ो को विशेषज्ञ चिकित्सक देखते हैं। यदि शासन द्वारा पीजी चिकित्सकों को विशेषज्ञ का दर्जा दिया जाता है तो बेहतर तरीके से और समय रहते रोगी का उपचार कर सकेंगे।और जनहित में स्वास्थ्य सेवाओं में भी बहुत सुधार आएगा क्योंकि विभाग को एक साथ लगभग 900 विशेषज्ञ मिल जाएगा।
ऐसा करने से शासन के ऊपर किसी तरह का कोई वित्तीय भार भी नहीं पड़ेगा क्योंकि अधिकांश पीजी चिकित्सकों को विशेषज्ञ के समकक्ष या उससे अधिक ग्रेड पे प्राप्त कर रहे हैं।इस मुद्दे को लेकर संघ द्वारा लंबे समय से शासन से मांग की जा रही है। लेकिन सरकार ने अभी तक संघ के मांग को गंभीरता से नहीं लिया है। जिसकी वजह से पीजी चिकित्सकों के बीच सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है।