भारत के फैसले से प्रतिबंध लगाकर रूस की अर्थव्यवस्था को अलग-थलग करने के बायडेन के प्रयासों को लगा धक्का

नई दिल्ली,

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के खिलाफ दुनियाभर को एकजुट करने को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन के अभियान को न केवल चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों, बल्कि दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले लोकतांत्रिक देश भारत से भी चुनौती मिल रही है। भारत के एक सरकारी अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि भारत रूसी तेल के आयात को बढ़ाकर ऊर्जा आपूर्ति पर छूट को बढ़ावा देगा, क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस महामारी से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है। अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा कि नवीनतम खरीद 30 लाख बैरल की है।

भारत रूस से ऊर्जा का आयात करने वाला अकेला देश नहीं है। जर्मनी जैसे अमेरिका के कई यूरोपीय सहयोगी देश भी ऐसा कर रहे हैं। इन देशों के इस फैसले से प्रतिबंध लगाकर रूस की अर्थव्यवस्था को अलग-थलग करने के बायडेन के प्रयासों को धक्का लगा है। भारत का रूस से तेल खरीद बढ़ाना अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना सकता है, जिसका संकेत भारत द्वारा हाल ही में रूस की अडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद के दौरान मिल चुका है।

भारत पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा अमेरिका
अमेरिका अभी भी इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या रूस से एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाए जाएं। ऐसे में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद इस मामले में नया मोड़ आ गया है। बता दें कि अमेरिका की कोशिशों के बावजूद यूक्रेन पर रूस के हमले के मामले में भारत ने तटस्थ रुख अपनाया है। भारत और चीन दोनों ने इस मसले पर रूस के खिलाफ यूएनजीए में लाए गए प्रस्ताव पर मतदान नहीं किया था। हालांकि भारत ने दोनों देशों, रूस और यूक्रेन से संपर्क लगातार बनाए रखा है।

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