बाल नेत्र सुरक्षा सप्ताह 14 से 20 नवंबर तक मनाया जा रहा… 94 स्‍कूलों के 9,238 बच्‍चों की जांच में 330 बच्‍चों में मिला दृष्टि दोष..

बेमेतरा,

बाल दिवस के उपलक्ष्य पर जिले में 14 नवंबर से 20 नवंबर तक बाल नेत्र सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा स्कूलों में भ्रमण कर बच्चों के नेत्रों की जांच की जा रही है।बाल नेत्र सुरक्षा सप्ताह के दौरान पिछले 6 दिनों में 94 स्कूलों के 9,238 बच्चों की आँखों की जांच की गयी है जिसमें से 330 बच्चों की आँखों में दृष्टि दोष की समस्या मिली है।

इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ. समता रंगारी ने बताया, “बाल नेत्र सुरक्षा सप्‍ताह जिले के सभी विकासखंडों में मनाया जा रहा है। इस दौरान नेत्र सहायक अधिकारियों द्वारा स्‍कूलों में जाकर बच्चों का नेत्र परीक्षण किया जा रहा है। इसके लिए स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा 16 टीमों का गठन किया गया है। इन टीमों के द्वारा पिछले 6 दिनों में 94 स्‍कूल के 9,238 छात्रों का नेत्र परीक्षण किया गया है। इस दौरान स्‍कूलों में पढ़ने वाले 6 से 15 वर्ष के बच्‍चों की आंखों की जांच में 330 छात्रों में दृष्टि दोष मिला है। इनमें से 104 बच्‍चों को निशुल्‍क चश्‍मा वितरण भी किया गया है। उन्‍होंने बताया, बचे हुए 226 दृष्टि दोष से ग्रसित बच्‍चों को भी शीघ्र निशुल्क चश्में का वितरण किया जाएगा। आँखों की जांच के दौरान कुछ बच्‍चों को ब्‍लेक बोर्ड में लिखे अक्षरों को पढ़ने व दिखने में कठिनाई हो रही थी। ऐसे बच्‍चों को चिन्हित करते हुए उनकी आँखों के जांच के उपरांत चश्में का वितरण किया गया। बाल नेत्र सुरक्षा सप्‍ताह के दौरान स्‍कूली बच्‍चों को जागरुक करने को आंखों से संबंधित चित्रकारी एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी रखी गयी है।“

बच्‍चें में मंददृष्टि यानी एम्बलायोपिया की समस्‍या से बचाव जरुरी

अंधत्व निवारण के सहायक नोडल अधिकारी विजय देवांगन ने बताया,“ब्‍लॉक स्‍तर पर नेत्र सहायक अधिकारियों की जांच टीम द्वारा स्‍कूली बच्‍चों का नेत्र परीक्षण किया जा रहा है। स्‍कूलों में सभी बच्‍चों को जांच के प्रथम चरण में 6 मीटर की दूरी पर चार्ट में लिखे अक्षरों को एक आंख बंद कर पढ़ाया जाता है। जिन बच्‍चों में  दृष्टि संबंधित दोष होते हैं उनकों दूर के अक्षर स्‍पष्‍ट दिखाई नहीं देते हैं। ऐसे बच्‍चों को चिंहांकित करते हुए दूसरे चरण में ट्रायल सेट के माध्‍यम से जांच कर चश्‍मा लगाने की सलाह देते हुए चश्‍मा उपलब्‍ध कराया गया है। उन्‍होंने बताया, बच्‍चों में किसी तरह की दृष्टि समस्या होने पर समय पर जांच व इलाज कराने से एम्बलायोपिया की समस्‍या से बचाया जा सकता है। एम्बलायोपिया को लेजी आई यानी मंददृष्टि के रूप में भी जाना जाता है। एम्बलायोपिया शिशु अवस्था और प्रारंभिक बचपन के दौरान शुरू हो जाता है।“

मोबाइल में घंटों तक बच्‍चों का खेलना बढाता है डिजिटल स्ट्रेस

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार घोष ने बताया,“बच्‍चों में आंखों से संबंधित समस्‍याओं से बचाव के लिए परिजनों को बच्‍चों के खान-पान पर विशेष ध्‍यान देने की जरुरत है। भोजन में हरे पत्‍तेदार सब्‍जी, दूध, अंडा का सेवन सहित पोषण आहार देना चाहिए। पढ़ाई के दौरान स्‍कूल व घरों के कमरे में पर्याप्‍त रोशनी होनी चाहिए। इसके अलावा आंखों को सुबह-शाम ठंडे पानी से धोना फायदेमंद होता है। डॉ. घोष ने बताया, बच्चों में आंखों से संबंधित कईं प्रकार की समस्याएं होती हैं, लेकिन कुछ समस्याएं बहुत सामान्य हैं जिनका आसानी से उपचार संभव है। आज कल किशोर उम्र के बच्चों पर एक तो पढ़ाई का बहुत दबाव है, दूसरा मोबाइल, टीवी, कम्‍प्‍यूटर जैसे गैजेट्स के बढ़ते चलन के कारण आंखों पर ‘डिजिटल स्ट्रेस’ काफी बढ़ रहा है। लॉक डाउन के दौरान स्‍कूली बच्‍चों की मोबाइल से ऑनलाइन क्‍लास व होमवर्क के दौरान घंटों मोबाइल से पढाई करने से सावधानी जरुरी है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि माता-पिता बच्‍चों को आंखों की देखभाल करने के लिए प्रेरित करें। बच्‍चों को समझाएं कि पोषक भोजन, पर्याप्त आराम और गैजेट्स का सीमित इस्तेमाल आंखों को स्वस्थ रखता है।“

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