‘बच्चों को सेविंग के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए…..सेविंग के ये चार आदत हो

लाइफ स्टाइल

‘बच्चों को सेविंग के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए ?’ जैसे विचारों से लोगों को अवगत कराया तथा अपनी कई स्कीमें समझाईं. मोबाइल, इंटरनेट व शौपिंग क्रेज से बच्चों में खर्च करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. बच्चों की खर्चीली आदतों को देखते हुए हाल ही में कुछ बैंकों के ब्रांच मैनेजरों ने एक गोष्ठी का आयोजन किया. यहां बैंकर्स ने कई बैंक तो बच्चों के लिए डिफरेंट सेविंग स्कीम्स भी ला रहे हैं. बैंक अब बच्चों के लिए एटीएम कार्ड भी जारी कर रहे हैं. आज मातापिता के लिए बच्चों को पाकेटमनी देना तो स्टेटस सिंबल बन चुका है. वे यह नहीं समझते कि जाने अनजाने में वे अपने बच्चों के अंदर एक ऐसी आदत को जन्म दे रहे हैं, जो भविष्य में उन्हीं के लिए नुकसानदायक साबित होगी.

आज टीनएजर्स स्कूल की छुट्टी के बाद पान की दुकान पर सिगरेट, गुटखा इत्यादि खरीदते आसानी से दिख जाते हैं. कहीं कहीं ये बच्चे शराब की दुकान पर बीयर खरीदते दिख जाते हैं. हो सकता है उस समय इन की माताएं किटी पार्टी और पिता व्यवसाय में व्यस्त हों. जेब में पैसा जरूरत को जन्म देता है, इसलिए अगर बच्चे को पैसे देना बहुत जरूरी है तो उस का उपयोग सिखाना उस से भी ज्यादा जरूरी है.

जरूरत पड़ने पर ही दें पैसा

अधिक पाकेटमनी देने से बच्चे अनावश्यक खर्च करते हैं. इसलिए बच्चों को जरूरत के मुताबिक ही पैसे देने चाहिए. आप बच्चों को उत्साहित करें कि वे पैसा बचाएं. यदि आप अपनी बेटी की पाकेटमनी में से कुछ पैसा उस के अकाउंट में जमा करा दें तो वह पैसा उसी के किसी काम आएगा.

मोबाइल और शौपिंग पर खर्च

खर्चीली लाइफस्टाइल के चलते बच्चों की पाकेटमनी का बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है. छात्रों का कहना है कि उस की पाकेटमनी का अधिकांश हिस्सा मोबाइल और शौपिंग पर खर्च होता है. पैसा बचने पर वह मम्मी के पास जमा करा देती है. पेरेंट्स के साथ ज्वाइंट अकाउंट खुलवा रखा है. अपनी जरूरत पर खर्च करने के बाद बचने वाले पैसों को उस में जमा करा देती है. अधिकांश खर्च क्रिकेट या दूसरे खेल के सामान खरीदने पर ही होता है. गेम्स खेलने और दोस्तों के साथ खानेपीने पर पैसा खर्च होता है.

 बचत है जरूरी

बच्चों के लिए पाकेटमनी को जरूरी मानने वाले मातापिता का कहना है कि अब बच्चे मोबाइल, गेम्स और फास्ट फूड पर खूब खर्च करते हैं. अत्यधिक खर्च करने से बच्चों की आदतें बिगड़ रही हैं. इसलिए बच्चों में बचत की आदत डालनी चाहिए.

जीरो बैलेंस पर अकाउंट

भारतीय स्टेट बैंक के ब्रांच मैनेजर डी.के. तनेजा का कहना है कि 10 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को सेविंग के लिए प्रमोट करने के लिए एसबीआई ने जीरो बैलेंस पर अकाउंट खोलने की योजना बनाई है. बच्चे का अकाउंट और एटीएम कार्ड भी जीरो बैलेंस पर देते हैं. सहकार मार्ग स्थित राजस्थान स्टेट कोपरेटिव बैंक के ब्रांच मैनेजर सुनील दत्त आर्य के अनुसार, इस तरह के अकाउंट खुलवाने में अब मातापिता अधिक रुचि ले रहे हैं.

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