बच्चों को सीखने में आने वाली कमी को रोकने शुरू हुई मस्ती की पाठशाला

रायपुर
ट्रांसफॉर्म स्कूल्स ने मैरिको इण्डिया के सहयोग से छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद और समग्र शिक्षा छत्तीसगढ़ के साथ मिलकर मस्ती की पाठशाला की शुरूआत की है। जिसमें जो बच्चे कोरोना काल के दौरान कुछ सीखना चाह रहे थे वह कमी उनकी अब दूर हो जाएगी। दीक्षा लिंक के जरिए कक्षा 6वीं से 9वीं तक के बच्चों को गणित, विज्ञान और अन्य भाषाओं जैसी शैक्षणिक दक्षताओं और एस्ट्रोनॉमी, फोटोग्राफी के साथ पोस्टर बनाने जैसी गतिविधियों को कर सकेंगे।

ट्रांसफॉर्म स्कूल्स के कार्यकारी निदेशक पंकज विनायक शर्मा ने बताया कि ेगहराते स्वास्थ्य और आर्थिक संकट से जो सीखा है, वह यह है कि हम प्रतिक्रिया और पुनर्निमाण के प्रक्रिया पर निर्भर नहीं कर सकते। इसके बजाय दीर्घकालिक प्रभावो ंको रोकने की दिशा में काम करते हुए अल्पावधि में सीखने और मानसिक स्वास्थ्य संकट को कम करने के लिए तेजी से नई आदतों को सीखना होगा। इसे ध्यान में रखते हुए एक सघन, स्व-चालित मस्ती की पाठशाला नामक खेल-खेल में सीखने वाला कार्यक्रम बनाया है, जो स्कूल स्तर के शिक्षण की दिशा में एक प्रभावी कदम होगा और स्कूल खुलने पर सरकार के शिक्षण वृद्धि कार्यक्रम का ही भाग होगा। प्रत्येक बच्चा इस कार्यक्रम में भाग ले सके और अपनी सीखने की यात्रा जारी रखे। इन गतिविधियों को पूरा कर के फोटो खींचकर मस्ती की  पाठशाला अथवा ट्रांसफॉर्म स्कूल को इंस्टाग्राम पर टैग करें। टॉप पांच गतिविधियों को ट्रांसफर ट्रस्ट द्वारा प्राइज दिए जाएंगे। मस्ती की पाठशाला में कक्षा 6 से 9 के बच्चे दीक्षा की वेबसाइट दीक्षा डॉट जीओवी डॉट इन में जाकर राज्य को सलेक्ट करना है उसके बाद हिन्दी और इंग्लिश में सलेक्ट करने के बाद अपने हिसाब क्लास सलेक्ट कर सकते हैं।

ट्रांसफॉर्म स्कूल्स का उद्देश्य कोविड-19 के कारण लगातार होने वाले लॉकडाउन व स्कूलों के बंद होने से बच्चों के सीखने में आ रही कमी पर अंकुश लगाना है। इसमें 6 सप्ताह की अवधि में छात्रों को उनके अनुसार 20 घंटे के कार्यक्रम को पूरा करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। कार्यक्रम छात्रों को रचनात्मक कार्यों में लगाएगा, सीखने में हो रही कमी को रोकेगा, और उनकी सीखने की क्षमता की निरंतरता को सुनिश्चित करेगा जिससे कि छात्र डिजिटल या व्यक्तिगत रूप से स्कूल लौटने में सक्षम हों और वापस स्कूल जाने के इच्छुक हों।

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