बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए अब बिना देरी के खोले जाएं स्कूल- डॉ. एन के अरोड़ा 

नई दिल्ली
कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैंन ने कहा कि अब समय आ गया है कि चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोले जाएं। उन्होंने कहा कि स्कूल खोलने के लिए बच्चों का टीकाकरण जरूरी नहीं है। बल्कि बच्चों के परिवार के सदस्यों और उनके संपर्क में आने वाले लोगों का टीकाकरण पहले जरूरी है। उन्होंने कहा कि बच्चों के माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को पहले कोरोना का टीका लगाया जाना चाहिए। इसी प्रकार स्कूलों में शिक्षक, कर्मचारी, बस चालक जो कोई भी बच्चों के संपर्क में आएगा उसे कोरोना का टीका लगाया जाना चाहिए, ताकि बच्चों की पूरी तरह से सुरक्षा हो सके। उन्होंने कहा कि बच्चों को कोई गंभीर बीमारी नहीं होती, या फिर वे कोरोना से बहुत कम बीमार पड़ते हैं। अरोड़ा ने कहा कि बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए अब स्कूलों का खोला जाना बहुत जरूरी है। 

अक्टूबर से इसकी डोज बच्चों को दी जाएगी। इससे पहले इस उम्र के बीमार बच्चों तक इसकी पहुंच बढ़ाने की रणनीति तैयार की जानी है। उन्होंने कहा कि वयस्कों का टीकाकरण पूर्ण होने के बाद ही स्वास्थ बच्चों को टीका दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि देश में 12-17 साल की उम्र के 18 करोड़ बच्चे हैं, जिन्हें वैक्सीन लगाई जाएगी। 

बीमार बच्चों को पहले दी जाएगी वैक्सीन उन्होंने कहा कि नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) के एक सदस्य इसको लेकर एक सूची तैयार कर रहे हैं। इस सूची को बच्चों की बीमारी के आधार पर तैयार किया जा रहा है। जिन बच्चों में मधुमेह, हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों का खतरा है, उन्हें पहले वैक्सीन देने का फैसला किया गया है। मालूम हो कि कैडिला की Zycov-D के अलावा देश की दो अन्य कंपनियां भी बच्चों के लिए वैक्सीन बना रही हैं, इनमें भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट शामिल है। भारत बायोटेक का बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल पूरा हो चुका है।
 

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